तमिलनाडु: CAA के समर्थन में है पीएमके लेकिन NRC पर राजी नहीं

पत्तलि मक्कल काची (पीएमके) तमिलनाडु में सत्ताधारी एआईएडीएमके और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध करते हुए पीएमके ने कहा है कि इससे लोगों के बीच बेवजह का भय पैदा होगा। पीएमके ने अपनी कार्यकारिणी कै बैठक में एनआरसी की खिलाफत करने का फैसला लिया है। पार्टी ने राज्य और केंद्र सरकार से मांग की है कि तमिलनाडु में एनआरसी लागू ना की जाए। बता दें कि पीएमके से पहले बीजेपी की सहयोगी पार्टियों, जेडीयू और शिरोमणि अकाली दल भी एनआरसी का विरोध कर चुकी हैं। पीएमके की यूथ विंग के नेता और राज्यसभा सदस्य अन्बुमणि रामदास ने संसद में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन किया था। पीएमके यह मांग भी करती रही है कि सीएए के तहत श्रीलंका से आए तमिलों को भी नागरिकता दी जाए क्योंकि वे भी उत्पीड़न का शिकार हुए हैं। बता दें कि सीएए के तहत केवल पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी, जो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए हैं। पीएमके ने जो प्रस्ताव पास किया है, उसमें लिखा गया है, ‘तमिलनाडु की सीमा किसी भी देश से नहीं लगती और श्री लंकाई शरणार्थियों की जानकारी पहले से ही सरकार के पास है। ऐसे में यहां एनआरसी कराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि इससे लोगों में बेवजह का डर पैदा होगा।’ पीएमके ने यह भी कहा है कि लोगों को यह लग रहा है कि एनपीआर भी एनआरसी की तैयारी के लिए किया जाने वाला है। पार्टी की मीटिंग में अन्बुमणि ने कहा, ‘एआईएडीएमके सरकार सिर्फ हमारे समर्थन की वजह से बची हुई है। हमने उपचुनाव के लिए उन्हें 22 सीटें देकर यह सुनिश्चित किया कि सरकार बची रहे लेकिन एआईएडीएमके इसे नहीं समझ रही है।
मीडिया से बातचीत में अन्बुमणि ने एनआरसी के मुद्दे पर कहा, ‘एआईएडीएमके नेतृत्व को इस बारे में जानकारी है। मैंने उनपर कोई आरोप नहीं लगाया है बल्कि अनुरोध किया है। इससे हमारे और एआईएडीएमके के गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीएए किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि लोग अभी इसे ठीक से समझ नहीं पाए हैं। सीएए के खिलाफ ‘कोलम’ बनाकर प्रदर्शन करने वालों की गिरफ्तार पर उन्होंने कहा कि यह गलत है।