राकेश पठानिया को कम न ज्यादा

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंत्रिमंडल विस्तार में कांगड़ा को शतरंज की तरह मैनेज किया। राकेश पठानिया को मंत्री बनाकर जहां एक ओर नूरपुर संगठनात्मक जिले का क्षेत्रीय संतुलन साधा वहीं वरिष्ठ नेत्री के सियासी पर बड़ी ही चतुराई से कतर दिए। सूत्रों की मानें तो कुछ हफ्ते पहले मुख्यमंत्री और सरवीण चौधरी के बीच शिमला में ट्रांसफर और एक अन्य मामले को लेकर काफी गहमागहमी हो गई थी। उसके बाद राजनीति, अफसरशाही से लेकर लोगों तक इस बात की खूब चर्चा चल रही थी।
माना जा रहा था कि कांगड़ा में सियासी रूप से कुछ बड़ा होने जा रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के फेरबदल में विशेष रूप से कांगड़ा को ज्यादा फोकस किया गया। पहले कांगड़ा में किशन कपूर, विपिन परमार, बिक्रम ठाकुर और सरवीण चौधरी चार मंत्री थे। परमार के पास स्वास्थ्य, कपूर के पास खाद्य आपूर्ति, बिक्रम के पास उद्योग, और सरवीण के पास शहरी विकास विभाग था। यानी कांगड़ा के पास स्वास्थ्य, उद्योग, शहरी विकास बड़े विभाग थे।
कपूर और परमार को मंत्रिमंडल से हटाया गया और बड़े विभाग कांगड़ा की झोली से चले गए। यानी दोनों वरिष्ठ नेता किनारे कर दिए गए। अब वरिष्ठ मंत्री सरवीण चौधरी ही बची थीं। लेकिन, सीएम के साथ खटास पैदा होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। शहरी विकास जैसा बड़ा विभाग उनसे वापस लेकर उन्हें पुराना सामान्य विभाग सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सौंपा गया। जबकि, बिक्रम ठाकुर को पदोन्न्ति देकर ट्रांसपोर्ट भी उनको दे दिया गया। वहीं, राकेश पठानिया को भी वन विभाग एवं युवा सेवाएं खेल विभाग लेकर बेहतरीन तरीके से मैनेज किया गया। यानी, बिक्रम और पठानिया को सरवीण से बेहतर विभाग मिले।