चाक चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था

पहले दिन मंडी समितियों की कार्यप्रणाली पर हुई चर्चा, पुलिस पर लगाया यह आरोप
सर्दी, गर्मी बारिश के बीच आठ माह से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत 200 किसानों का जत्था गुरुवार को पुलिस सुरक्षा के साथ बसों व कारों में सवार होकर विरोध-प्रदर्शन करने जंतर-मंतर पर पहुंचा। भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच किसानों ने संसद से कुछ दूरी पर समानांतर संसद लगाई, जो कि तय वक्त से करीब ढाई घंटे बाद दोपहर 1:30 बजे शुरू हुई। पहले दिन मंडी समितियों की कार्यप्रणाली पर विस्तार से चर्चा हुई। किसान प्रतिनिधियों में फिर दोहराया कि बगैर कृषि कानून रद्द किए आंदोलन वापस नहीं लेंगे। जरूरत हुई तो आंदोलन 2024 तक चलता रहेगा। किसान संसद शाम करीब पांच खत्म हुई और इसके बाद सभी किसान प्रतिनिधि सिंघु बॉर्डर लौट गए।
किसान नेताओं ने कहा, किसान संसद लगाने का मकसद यही है कि सरकार को पता चल सके कि कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा उनका आंदोलन अभी जिंदा है। किसान नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा किसान संसद तीन सत्र में चली। स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन करने के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई। पहले सत्र के लिए हन्नान मौला को स्पीकर और मनजीत सिंह को डिप्टी स्पीकर बनाया। कार्रवाई की शुरुआत आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। सभी किसान प्रतिनिधियों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की। साथ ही केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की।
किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा, गणतंत्र दिवस हिंसा के बाद इस बार कम संख्या में ही किसानों को दिल्ली लाने का फैसला किया। क्योंकि सरकार ही नहीं हम भी नहीं चाहते हैं कि भीड़ इकट्ठा हो। उन्होंने किसान संसद की जरूरत पर कहा कि कोरोना काल में मीडिया रिपोर्ट्स से ऐसा संदेश गया कि किसान आंदोलन खत्म होता जा रहा है। इसलिए संसद के जरिए हम बताना चाहते हैं कि आंदोलन अभी जिंदा और मजबूत है। हन्नान मौला ने बताया कि किसान ससंद में तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा करेंगे। चूंकि इन काले कानूनों को बिना संसद में चर्चा किए पारित किया था। इसलिए किसान संसद के जरिए हम इन कानूनों को खारिज करते हैं।
चाक चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था
गणतंत्र दिवस पर हिंसा से सबक लेते हुए दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी। नई दिल्ली जिले में पांच स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया। हर स्तर पर पुलिस उपायुक्त के समकक्ष अधिकारी तैनात था। पूरे इलाके में दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों की 5-5 कंपनियां तैनात थीं। वहीं, पूरी दिल्ली पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया।
नहीं रखा कोविड प्रोटकॉल का ध्यान
किसान संसद में कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखा गया। किसान प्रतिनिधियों की कुर्सियों को सटाकर रखा गया था। इससे सामाजिक दूरी का पालन नहीं हो सका। वहीं, कई किसान प्रतिनिधियों ने मास्क भी नहीं पहना था। इस बारे में किसान नेताओं ने कहा कि पुलिस ने जितनी जगह पर संसद लगाने की इजाजत दी थी, उसमें कुर्सियों के बीच दूरी रखना संभव नहीं था। पहला दिन होने से थोड़ी दिक्कत आई है, लेकिन शुक्रवार से समुचित व्यवस्था बना दी जाएगी।
पुलिस पर लगाया देरी करने का आरोप
सुबह 10 बजे सिंघु बॉर्डर से पुलिस सुरक्षा के साथ 5 बसों व छह कारों में किसानों का काफिला रवाना हुआ। दिल्ली में प्रवेश करने के बाद पुलिस बसों में बैठे किसानों को गिनना चाह रही थी, इस मुद्दे पर किसानों से कहासुनी हुई। गिनती करने के लिए सभी किसानों को एक रिजॉर्ट में ले जाया गया। वहां सबका परिचय पत्र देखा और सुरक्षा जांच की गई। किसान नेताओं का आरोप है कि जान-बूझकर देरी करने के मकसद से पुलिस ने यह कार्रवाई की। जबकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि जंतर-मंतर पर पहुंचने वाले हर किसान का पहचान पत्र चेक करने के मकसद से इनको रोका गया था।
टाइम लाइन
सुबह 10 बजे: सिंघु बॉर्डर से पांच बसों व छह कारों के जरिए किसान प्रतिनिधि रवाना हुए।
10:00 बजे के बाद: रास्ते में अलग-अलग जगह किसान प्रतिनिधियों की जांच। मुकरबा चौक से पहले सभी को बस से उतारा।
1:00 बजे: जंतर मंतर पर पहुंचा काफिला
1:30 बजे: किसान संसद शुरू हुई
2:10 बजे: आधे घंटे का लंच ब्रेक, लगा लंगर
2:40 बजे: दूसरे सत्र की शुरुआत
शाम 3:40 बजे: टी ब्रेक
4:00 बजे: तीसरा सत्र
5:00 बजे: पहले दिन के सत्र की समाप्ति