दिल्ली में कोरोना की आर वैल्यू स्थिर

दिल्ली में कोरोना की आर वैल्यू स्थिर
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विशेषज्ञों ने जताई चिंता
दिल्ली में भले ही कोरोना संक्रमण दर आधा फीसदी से भी कम है लेकिन संक्रमण के फैलने की गणितीय आर वैल्यू एक अंक पर स्थिर है जिसे लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। इनका कहना है कि आर वैल्यू की स्थिरता को बरकरार रखने या फिर इसे और नीचे लाने के लिए भीड़ से दूरी बहुत जरूरी है। जबकि इन दिनों राजधानी की सड़कें, बाजार और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर नियमों का सख्ती से पालन दिखाई नहीं दे रहा है। चालान से बचने के लिए लोग मास्क पहन रहे हैं लेकिन सोशल डिस्टैसिंग का अभाव काफी है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि आर वैल्यू की स्थिरता से कोविड संक्रमण की वर्तमान स्थिति का पता चलता है लेकिन यह वैल्यू कभी भी ऊपर जा सकती है। अभी केरल में सबसे ज्यादा मामले मिल रहे हैं और वहां यह वैल्यू 1.4 अंक पर है। इसलिए दिल्ली में भी आशंका पूरी है। हालांकि दूसरी लहर के दौरान ज्यादातर आबादी के संक्रमण की चपेट में आने के बाद हर्ड इम्युनिटी विकसित जरूर हुई है जोकि केरल में अब तक 40 फीसदी आबादी तक है।

डॉ. लहरिया का कहना है कि कोरोना के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में हर्ड इम्युनिटी बन चुकी है लेकिन सबसे ज्यादा सैंपल में मिल रहे डेल्टा वैरिएंट इसे लंबे समय तक बनाए नहीं रख सकता है। इस वैरिएंट की वजह से अगर हर्ड इम्युनिटी का सर्कल टूटता है तो दिल्ली में भी संक्रमण के तेजी से मामले बढ़ने लगेंगे।  वहीं आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि दिल्ली अब पूरी तरह से अनलॉक दिखाई देती है। आए दिन राजनैतिक कार्यक्रम और विरोध प्रदर्शन के अलावा अन्य कार्यक्रम भी देखने को मिल रहे हैं। इनके अलावा मेट्रो और डीटीसी में भी भीड़ साफ नजर आ रही है। यह संकेत भविष्य के लिहाज से ठीक नहीं है। अगर संक्रमण दर को इसी तरह नीचे बनाए रखना है तो जरूरी है कि जमीनी स्तर पर प्रशासन को सख्त कदम उठाए जाएं।

बारिश के बाद उमस की भूमिका भी अहम
कोविड-19 और वायु प्रदूषण को लेकर देश का पहला चिकित्सीय अध्ययन करने वाले डॉ. सुमोध का मानना है कि कोरोना संक्रमण के प्रसार में मानसून भी एक अलग भूमिका निभा रहा है। जिन इलाकों से यह गुजर चुका है वहां वापस से तापमान बढ़ने पर संक्रमण के मामलों में उछाल आया है। जबकि बारिश वाले इलाकों में संक्रमण कम है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में भी जहां बारिश नहीं है और उमस अधिक है, वहां कोरोना के मामले पिछले कुछ दिन में बढ़े हैं।

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