अस्पतालों में सामने आ रहे वायु प्रदूषण के गंभीर मामले

इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक रोगों से बचाने में अहम भूमिका निभाती है। कुछ समय पहले तक यह क्षमता मजबूत होने की वजह से लोग जल्द ही स्वस्थ भी हो जाते थे लेकिन कोरोना महामारी के दौरान लोगों की यह क्षमता काफी प्रभावित हुई है। कोरोना की चपेट में आने के बाद दवाओं का सेवन और पोस्ट कोविड के लंबे समय तक दिखाई देने वाले लक्षण इत्यादि अभी भी लोगों को थकान, नींद न आना, बैचेनी इत्यादि का एहसास करा रहे हैं।
इसी कमजोर इम्युनिटी का नुकसान अब वायू प्रदूषण में हो रहा है। जहां दिल्ली की आबोहवा पूरी तरह प्रदूषण की चपेट में आ चुकी है। वहीं इस हवा की वजह से जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है उनके एक साथ कई अंग प्रभावित हो रहे हैं। एक ही मरीज को लिवर में दिक्कत है तो उसे सांस लेने में कठिनाई के अलावा यूरिन से जुड़ी परेशानी भी देखने को मिल रही है। ऐसे मरीज किसी एक या दो नहीं बल्कि राजधानी के अलग अलग अस्पतालों में देखने को मिल रहे हैं।
वसंतकुंज स्थित आईएलबीएस अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि किडनी और लिवर के मरीजों की इम्युनिटी पहले से ही काफी कम होती है लेकिन वायू प्रदूषण की वजह से इन मरीजों की संख्या में 30 से 40 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह सफदरजंग अस्पताल के डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि जिन लोगों को पहले गंभीर कोरोना संक्रमण हुआ था उनके फेफड़ों पर अभी भी वायरस का असर है लेकिन वायू प्रदूषण बढ़ने के बाद इन लोगों में सांस लेने में तकलीफ, बैचेनी इत्यादि बढ़ गई है। ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां तक कि रविवार के दिन भी उनके यहां ओपीडी में काफी मरीज देखने को मिले हैं।
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ दूसरी संस्थाओं द्वारा कराए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि भारत, पाकिस्तान और चीन के कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि वह खतरा बन चुका है और इसकी स्थिति समय के साथ और खतरनाक होती जा रही है।