बंद नहीं कराई दूषित पानी की आपूर्ति

जिन 15 आरओ प्लांट और 18 होटलों के पानी में पेचिश का बैक्टीरिया ई-कोलाई मिला, उन पर रविवार को प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस लापरवाही की वजह से इन प्लांट से 30 हजार से ज्यादा घरों में दूषित पानी की आपूर्ति की गई। लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे ऐसे प्लांट शहर में 300 से ज्यादा हैं जो बगैर लाइसेंस के चल रहे हैं। सभी के पानी की जांच तक नहीं कराई गई है। इससे सवाल खड़े हो रहे हैं।
सीएमओ डॉ. भवतेश शंखधार ने शुक्त्रस्वार को सिटी मजिस्ट्रेट निर्भय सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि जिन प्लांट और होटलों के पानी के नमूने फेल हुए हैं, उन पर कार्रवाई की जाए। शनिवार को सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा था कि इन सभी प्लांट पर बंद कराया जाएगा। होटलों पर भी कार्रवाई होगी। इस मामले में केस दर्ज कराया जाएगा, लेकिन रविवार को ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
साफ पानी की सप्लाई कम होने से शहर में आरओ फिल्टर पानी के अवैध प्लांट की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विजयनगर में ही करीब 50 से ज्यादा अवैध प्लांट लगे हैं। इनसे विजयनगर क्षेत्र के साथ-साथ बहुमंजिला सोसायटियों में भी पानी की आपूर्ति की जा रही है। हिंडन पार क्षेत्र में भूजल की गुणवत्ता खराब होने से बोतलबंद पानी की खपत सबसे ज्यादा है। इसकी वजह से इस क्षेत्र में प्लांट की संख्या और भी ज्यादा है। टीला मोड़ क्षेत्र से बोतल बंद पानी लाकर हिंडन पार क्षेत्र में बेचा जा रहा है। प्रतिदिन करीब 30 से 40 लाख रुपये का पानी का कारोबार किया जा रहा है, लेकिन न तो इनकी गुणवत्ता पर भरोसा है और न ही सरकार को इससे राजस्व मिल रहा है।
शहर में भूजल दोहन कर व्यावसायिक उपयोग करने के लिए जिला भूजल प्रबंधन परिषद से एनओसी लेनी अनिवार्य है। डीएम की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, सिंचाई विभाग, कृषि विभाग, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और जल निगम के अधिकारी समेत कई अन्य विभाग के अधिकारी सदस्य होते हैं। परिषद की सहमति पर ही किसी को भूजल दोहन की एनओसी लेनी होती है। वहीं बोतल बंद पानी बेचने के लिए स्वास्थ्य विभाग से भी अनुमति लेना अनिवार्य है। शहर में संचालित आरओ वाटर प्लांट को एनओसी नहीं दी गई है।