लड़की को ‘कॉल गर्ल’ कहना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में लड़की को ‘कॉल गर्ल’ कहने के मामले में लड़के और उसके माता-पिता को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘कॉल गर्ल’ कहने मात्र से आरोपियों को आत्महत्या करने के लिए उकसाने का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. दरअसल 15 साल पहले एक लड़के के माता-पिता ने उसकी गर्लफ्रेंड को ‘कॉल गर्ल’ कह दिया था, जिसके बाद उसकी गर्लफ्रेंड ने आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या के इस मामले में लड़के और उसके माता-पिता पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी ने अपने फैसले में कहा कि लड़की की ओर से की गई आत्महत्या का कारण ‘अपमानजनक’ भाषा का इस्तेमाल था, ये कहना सही नहीं है. जजों ने कहा कि गुस्से में कहा गया एक शब्द, जिसके बारे में कुछ सोचा-समझा नहीं गया हो उसे उकसावे के रूप में नहीं देखा जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के एक पुराने फैसले में एक व्यक्ति को पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मुक्त कर दिया था. बताया जाता है कि पति-पत्नी के बीच हुए झगड़े के दौरान पति ने गुस्से में पत्नी से कहा था कि ‘जाकर मर जाओ’. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का हवाला देते हुए कहा कि गुस्से में कही गई बात को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला नहीं कहा जा सकता.