‘हमारी COVID-19 मदद तबलीगी जमात और जिहादियों के लिए नहीं’

‘हमारी COVID-19 मदद तबलीगी जमात और जिहादियों के लिए नहीं’
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गुवाहाटी
कोरोना के खिलाफ जंग में देश एकजुट है। मदद के हाथ बढ़ रहे हैं। पीएम केयर्स फंड (PM CARES Fund) में लोग दिल खोलकर सहायता राशि जमा कर रहे हैं। इस बीच असम के विदेशी ट्राइब्यूनल के नाम से 12 लोगों ने 60 हजार रुपये का डोनेशन किया गया है। इसमें खास तौर से लिखा गया है कि इस पैसे का इस्तेमाल तबलीगी जमात, जिहादियों और जाहिल लोगों की मदद के लिए नहीं होना चाहिए।

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक 7 अप्रैल को असम के स्वास्थ्य और वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) लिखे गए इस खत पर बक्सा जिले के विदेशी ट्राइब्यूनल मेंबर कमलेश कुमार गुप्ता के दस्तखत हैं। अखबार के मुताबिक गुप्ता ने यह बात तो मानी कि उन्होंने खत लिखा है लेकिन उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि यह खत सरकार को नहीं भेजा गया है। उन्होंने कहा कि खत में जो कुछ भी लिखा गया है उसके बारे में वह चर्चा नहीं करना चाहते हैं।

अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में किए गए दावे के मुताबिक खत में लिखा है, ‘हमारी गुजारिश यह है कि तबलीगी जमात, जिहादी और जाहिल लोगों तक यह मदद नहीं पहुंचनी चाहिए। कोरोना वायरस महामारी संक्रमण की गिरफ्त से मानवता को बचाने के लिए कृपया हमारा डोनेशन स्वीकार कीजिए।’

बता दें कि फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल (विदेशी ट्राइब्यूनल) एक अर्ध न्यायिक संस्था है जो किसी के उन दावों की जांच-परख और छानबीन करती है, जो उसके विदेशी होने या न होने से संबंधित होती है। फॉरेनर्स ऐक्ट 1946 के तहत इसे अधिकार दिए गए हैं। असम में पिछले साल जारी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की अंतिम लिस्ट में 19 लाख लोग जगह बना पाने में नाकाम रहे थे। नागरिकता खारिज होने का आदेश मिलने के बाद फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल के सामने ये लोग भी अपील करेंगे। उनकी नागरिकता पर फैसला ट्राइब्यूनल के मेंबर ही करेंगे।

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक 12 दानदाताओं में से एक पंपा चक्रवर्ती ने ही पिछले साल रिटायर्ड आर्मी अफसर मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित किया था। सनाउल्लाह ने भारतीय सेना (Indian Army) में सूबेदार के रूप में 30 साल तक सेवाएं दी थीं। सनाउल्लाह को पहले डिटेंशन सेंटर में रखा गया था लेकिन बाद में उन्हें गुवाहाटी हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। ट्राइब्यूनल के फैसले के खिलाफ सनाउल्लाह की अपील अभी कोर्ट में लंबित है।

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