हमारा देश बदला है हालात नहीं, धरती को बिछौना बनाकर और आसमान को ओढ़कर रोज सोते हैं

पसीना छुड़ा देने वाली भीषण गर्मी से बचने के लिए यमुना खादर में सिग्नेचर ब्रिज के नीचे कई परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ बैठे हैं तो कुछ खुली जमीन पर लेटे हैं। इनके पास कोई दरी या गद्दा ना होकर धरती ही बिछौना है। इन परिवारों में कई दो साल पहले तो कुछ तीन साल पहले सुहाने सपने संजोकर पाकिस्तान के सिंध प्रांत स्थित जबरन धर्मांतरण के लिए कुख्यात घोटकी से अपने ऊपर होने वाले ज़ुल्मो-सितम से बचने के लिए हिंदुस्तान आए थे। ताकि यहां अच्छे से जीवन का गुजर-बसर कर सके।
लेकिन ये परिवार आज भी जंगल में बिना मूलभूत सुविधाओं के जानवरों जैसा जीवन जीने को मजबूर है। पाक विस्थापितों के परिवार ब्रिज से कुछ दूरी पर वन विभाग की जमीन पर जंगल में रहते हैं। जहां न बिजली, न पानी और न रहने के लिए तंबू है। इनके पास ना ही शरणार्थी कार्ड और ना आधार कार्ड है। ऐसे में इन परिवारों के युवा कहीं काम नहीं कर सकते हैं।
यहां तक कि इलाज भी नहीं करवा पाते हैं। ये गर्मी से बचने के लिए दिन में ब्रिज के नीचे समय बिताते हैं। और शाम को पांच बजे झुग्गियों में चले जाते हैं। ताकि अंधेरा होने से पहले खाना बना सके। पार्वती ने कहा हमारा देश बदला हालात नहीं। हम शरणार्थी हैं सर धरती बिछौना और आसमान ओढ़कर रोज सो जाते हैं।