सिंघु बॉर्डर पर सर्द रातों में स्थानीय लोग कर रहे हैं अन्नदाताओं की सेवा, बांट रहे चाय, चल रहा है मीठे चावल का लंगर

कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्ड पर जमे आंदोलनकारियों की सेवा स्थानीय लोग कर रहे हैं। सर्द रातों में वे हमदर्दी के साथ किसानों को चाय बांट रहे हैं। इस सेवादारी में उनका परिवार भी साथ है। किसानों की सेवा करने वाले एक शख्स प्रणीत सिंह का कहना है कि किसानों ने बुरी स्थितियां झेली हैं। वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी तरह किसानों की सेवा कर रहे एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि किसान ठंड मे अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, इसलिए में अपने परिवार के साथ इनकी सेवा कर रहा हूं।
गौरतलब है कि वीरवार को सरकार के साथ हुई चौथे दौर की वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकल सका। अब अगले दौर की बातचीत कल यानी 5 तारीख को होगी। ऐसे में किसान हौसले के साथ बॉर्डर पर जमे हुए हैं।
मुसलिम समुदाय के लोग बांटते दिखे मीठा चावल
प्रदर्शन स्थल पर मुसलिम समुदाय के चार-पांच लोग दिखे। पंजाब के मलेर कोटला से यह लोग सिंघु बार्डर पहुंचे है। पेशे से वकील मुबीन फारूखी ने बताया कि वह अपने किसान भाईयों के लिए अपने गांव से यहां पहुंचे हैं। जब तक इनका प्रदर्शन चलेगा, वह अपने किसान भाई को मीठे चावल का लंगर चलता रहेगा।
अपने जत्थे के साथ बार्डर पर निहंग सिख
केंद्र सरकार के बिल के विरोध में बृहस्पतिवार को सिंघु बार्डर पर निहंग सिख का जत्था भी पहुंच गया है। किसानों के हक में आए निहंग सिखों का कहना है कि सरकार तीनों कानून वापस ले। जब तक ऐसा नहीं होता, वह वापस नहीं लौटेंगे। खास बात यह कि यह अपने घोड़े पर प्रदर्शन स्थल पर चक्कर लगाते रहे। एक बार निहंग सिखों का जत्था बैरीकेड तक पहुंच ग या था, इसे देख पुलिसकर्मियों के होश उड़ गए थे। हालांकि, थोड़ी देर बाद वह लौट गए।
पैर चोटिल, घुटनों में तेज मालिश करते दिखे 80 साल के बुजुर्ग सुखचैन सिंह
लुधियाना से सिंघु बार्डर पहुंचे 80 वर्षीय किसान सुखचैन से धूप में पैर मालिश करने दिखे। बातचीत में उन्होंने अपना चोटिल पैर दिखा। साथ ही इस तरह की चोटों का दर्द सहने की बात भी कही। सुखचैन सिंह ने बताया कि वह दिल्ली किसान बिल को वापस करवाने के लिए आए हैं। बगैर इसके वह वापस नहीं जाएंगे। भले ही इसके बाद जान तक चली जाए।
पंजाब पुलिस का एएसआई पंगत में बांटा खाना
पंजाब पुलिस के एएसआई बलविंदर सिंह सिंघु बार्डर पर लंगर में खाना बांटते नजर आए। खाकी वर्दी के साथ हाथ में सब्जी की बाल्टी उठाए बलविंदर का कहना था कि वह सेवादार के तौर पर आए हैं। हालांकि, उन्होंने तस्वीर खिंचाने और अपनी सेवा के बारे में बात करने में काफी हीलाहवाली की। उनका कहना था कि इस काम से उनको सुकून मिल रहा है। अपने घर परिवार के लोगों के साथ विरोध की कोई वजह नहीं है।
हुक्के की गुड़गड़ के बीच लगी चौपाल, अखबारों की खबरों के साथ चलती रही चर्चा
हुक्के की गुड़गुड़ के बीच सर्दी की धूप में सड़क किनारे किसानों की चौपाल लगी थी। यहां पर अखबारों की खबरों की बीच आंदोलन पर गरमागरम चर्चा चलती रही। सरकार के बातचीत के बीच लगी चौपाल में बड़ा मसला उसके नतीजे पर था। हालांकि, वहां मौजूद ज्यादातर किसान आशंका जता रहे थे कि बातचीत आज भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचेगी।
कंगना रणौत की दिखी प्रदर्शनस्थल पर फोटो
सिंघु बार्डर पर अपने ट्विट से विवाद आई कंगना रणौत की तस्वीर में बृहस्पतिवार को देखी गई। कई युवाओं ने फिल्म की अभिनेत्री की रोती हुई तस्वीर का पोस्टर हाथ में ले रखा था। इस पर सशुल्क प्रमोशन के कॉल करें लिखा हुआ था। युवाओं का कहना था कि कंगना पैसा लेकर प्रमोशन करती हैं। साथ ही कहा कि वह बॉर्डर पर आएं, हमारे प्रदर्शन को प्रमोट करें और हम इसका पैसा भी देंगे।
टोपी बनी प्रदर्शनकारी किसानों की पहचान, सजी दुकान
गाजीपुर बार्डर पर हरी व सफद रंग की टोपी किसानों की पहचान बन गई है। इसे देखते हुए प्रदर्शन स्थल पर दुकानें भी सज गई हैं। दस-दस रुपये में टोपियां दूर दराज से आए किसानों को बेची जा रही थी। वहीं, बिल्ला भी पांच रुपये में मिल रहा था। दिलचस्प यह कि मौके पर तैनात पुलिसकर्मी टोपियों से ही किसान प्रदर्शनकारियों की पहचान कर रहे थे। दूसरी तरफ गरम कपड़े की दुकानें भी प्रदर्शन स्थल पर लगी थी। 100-150 रुपये के बीच गरम साल की बिक्री किसानों को की जा रही थी। गाजीपुर फ्लाईओवर के नीचे इस तरह की छोटी-छोटी दुकानें दिन भर सजी दिखी।