शरजील ने दायर की जमानत याचिका

कहा- न हिंसा के लिए उकसाया, न हुई
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और राजद्रोह कानून के तहत गिरफ्तार जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने एक मामले में जमानत याचिका दायर की है। उस पर दो विश्वविद्यालयों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। याची ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है उनके भाषण से हिंसा हुई न ही उसने हिंसा के लिए किसी को उकसाया। अदालत ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद सुनवाई दो अगस्त तय कर दी। इमाम को 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) में कथित भाषण के लिए गिरफ्तार किया गया था। उसने 16 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से काटने की धमकी दी थी। वह 28 जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में है। कड़कड़डूमा जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष पेश जमानत याचिका में इमाम ने दावा किया कि उन्होंने किसी भी विरोध या प्रदर्शन के दौरान कभी भी किसी हिंसा में भाग नहीं लिया। वह एक शांतिप्रिय नागरिक हैं।
सुनवाई के दौरान इमाम के अधिवक्ता तनवीर अहमद मीर ने अदालत में उनके भाषणों के कुछ अंश पढ़े और कहा कि वे राजद्रोह कानून के तहत नहीं आते। उन्होंने कहा इस भाषणों में हिंसा का कोई मामला नहीं बनता। यह राजद्रोह की श्रेणी में कैसे है? उन्होंने कहा सड़कों को अवरुद्ध करना देशद्रोही कैसे है? अधिवक्ता मीर ने उनके भाषणों की ओर इशारा करते हुए कहा कुछ शहरों को काटने की बात देशद्रोह कैसे है, जब रेल रोको का आह्वान देशद्रोह नहीं है तो यह देशद्रोह कैसे। उन्होंने कहा कि भाषणों की विषयवस्तु के अवलोकन से पता चलता है कि न तो हिंसा के लिए उकसाया गया और न ही हिंसा की कोई घटना हुई है जिसके लिए इमाम के भाषणों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। इमाम पर राजद्रोह से संबंधित अपराध, धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल आरोपों और भारतीय दंड संहिता के तहत सार्वजनिक शरारत और यूएपीए के तहत गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का आरोप है।