भारत एक खोज: कल भी आज भी और कल भी, इसमें नया क्या है..?

भारत एक खोज नामक किताब नेहरूने लिखी थी। जेलवास के दौरान उन्होंने भारत का प्राचीन इतिहास और जो जानकारी जेल से लिखे पत्रों के जरिये अपनी बेटी इंदिरा गाँधी को दी उसे लेकर टीवी सीरीयल भी इसी नाम से बनी थी। भारत की फिर से खोज शुरू हो गई है २०१४ से। मेन वर्सिस वाइल्ड यानि इंसान और जंगल-प्रकृति-वन्यजीवों के बीच की लड़ाई। चाहे लड़ाई हो लेकिन रहना साथ साथ है। इस बात को लेकर नेताजी किसी चैनल में आ रहे है। जाहिर है डिस्कवरी की टीआरपी बढेंगी। इतनी बढेंगी की बस। विपक्ष द्वारा इसकी आलोचना भी की गई। किसी हमले वक्त नेताजी इसकी शूटिंग कर रहे थे। हो सकता है की हमले की जानकारी देने में अफसरों ने देर लगाई हो। वह भारत एक खोज अब लोगो के सामने आ रही है मेन वर्सिस वाइल्ड के जरिये। चलो अच्छा है नया रूप..नया अंदाज..अनूठा साहस ६८ बर्ष की उम्र में करना बह खतरे से खाली नहीं। वैसे तो नेताजी खतरों के खिलाड़ी है और अच्छे अच्छे को चित्त किये है। उदाहरण ले लो अमेठी। नए भारत एक खोज में अमेठी में जीतनेवाली एक मोहरा है। असली रणनीतिकार तो नेताजी ही है। इस शो में बताया जाता है की विकट और विपरीत परिस्थितियों में कैसे टीके रहना चाहिए उसके बारे में सिखाते है। साहिबान, भारत नामक देश में एक नहीं ऐसे करोडो लोग मिल जायेंगे जो बतायेंगे की सरकार मदद न भी करे तो भी विकट स्थितियों में कैसे टिकना चाहिए। आज भी भारत के जंगलो में कई वनवासी ऐसी हालत में रहते है जो कैसे टीके वह एक खोज का विषय हो सकता है। लेकिन बात करोड़ों करोडो जन जन.. मन मन तक पहुचने हो तो फिर डिस्कवरी ही करनी पड़े ताकि 100 से ज्यादा देशो में पहुँच सके। वनवासी से कितने तक पहुँच पाते…? बात नये भारत की है। आधी दुनिया में भारत का डंका बज चूका है। अब आधि दुनिया तक पहुंचे तो समझो की कर लो सारी दुनिया मुठी में। इस सूत्र का किसी जुग जूग जिओ के साथ कछू लेना या देना नहीं है। जंगल का कानून है सह अस्तित्व का। जिओ और जीने दो। लेकिन यहाँ तो दलों का सफाया-जन प्रतिनिधियों का अन्य दलों में आना जाना, पिटाई- विरोध करनेवालों के खिलाफ दूसरो को आगे कर सीधे रखना…और न जाने क्या क्या। सह अस्तित्व नहीं, मेरा ही अस्तित्व…भला ये भी कोई बात हुई क्या। ये शो देख कर शायद जंगल के प्राणी भी बोल उठेंगे की- ये क्या…? कहना कुछ ओर करना कुछ ओर। ये हमारा सिद्धांत नहीं। जंगल में सभी को जीने का हक्क अधिकार है। लेकिन जंगल के बाहर….? भारत के लोग विकट से विकट स्थितियों में मुस्कराकर जीते है और गाते है- किसी की मुस्कराहटो पे हो निसार….किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार…! उसे किसी डिस्कवरी की नहीं देश की woory यानि देश की चिंता है..! लेकिन जिसकी जैसी मर्जी..नया भारत है…नया जोश है…नई उमंग है..आवो मिल कर लिखे नई कहानी हम…डीस्कवरिस्तानी… हम डिस्कवरीस्तानी…! चलो, दो कदम जंगल की ओर चले..!