सरकारी योजनाओं की बदौलत बदली खेत-खलिहानों की तस्वीर

सरकारी योजनाओं की बदौलत बदली खेत-खलिहानों की तस्वीर
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 प्रदेश का कृषि जगत हाल के कुछ माहों से कई नवीन आयामों की ओर अग्रसर है। राज्य सरकार किसानों के कल्याण और कृषि तथा इससे जुड़े हुए सभी क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न स्तरों पर भरसक प्रयासों में जुटी हुई है। सरकार की कृषि विकास एवं कृषकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को अपनाने में किसान अब पूरी रुचि के साथ आगे आ रहे हैं। कृषक सरकारी योजनाओं, परियोजनाओं एवं उन्नत खेती-बाड़़ी के विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ पाकर अपने खेत-खलिहानों की तस्वीर और अपनी तथा घर-परिवार की तकदीर संवारने में जुटे हुए हैं। चित्तौड़गढ़ जिले में कृषि एवं उद्यानिकी तथा इससे संबंधित विभागों एवं संस्थाओं के प्रयासों से सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों ने किसानों को काफी हद तक लाभान्वित किया है। जिले में बड़ी संख्या में काश्तकार नए जमाने की मांग के अनुसार लाभकारी खेती-बाड़ी को अपना रहे हैं।
इन्हीं प्रगतिशील किसानों में एक नाम है चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति के घटियावली गांव निवासी किसान गोपाल लाल कुमावत का। प्राथमिक तक की शिक्षा पाए हुए 28 वर्षीय गोपाललाल खेती-बाड़ी के मामले में दूसरे किसानों से कहीं आगे हैं। उनके पास 1.20 हैक्टेयर भूमि है जिसे वह अपनी मेहनत और नवाचारों से सिंचते हैं। खेत में सिंचाई के लिए डीजल पंप है जिसके सहारे  कुएं और नलकूप के पानी का उपयोग होता है। सूक्ष्म सिंचाई मिशन के अन्तर्गत 1.50 हैक्टेयर में ड्रिप व 1 हैक्टेयर में फव्वारा सैट लगा रखा है जबकि खेत में 300 मीटर सिंचाई पाइप लाइन बिछाई हुई है। कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं से अपने खेत की सूरत और खलिहानों की सेहत संवारने वाले प्रगतिशील काश्तकार गोपाल लाल कुमावत प्रमाणित बीजों, जैविक खाद, मृदा जांच के निष्कर्षों के अनुरूप संतुलिक उर्वरकोें का प्रयोग करने के साथ ही अच्छे पशुपालक के रूप में भी जाने जाते हैं। उनके यहां अजमेरी नस्ल की एक गाय तथा मुर्रा नस्ल की 3 भैंसे हैं। इनसे रोजाना औसतम 34 लीटर दूध उत्पादित होता है।
गोपाल लाल उन्नत पशु आहार उपयोग, कृषि बीमा, उन्नत कृषि /पौध संरक्षण यंत्र प्रयोग आदि से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त करते हुए खेती-किसानी को सम्बल प्रदान करते रहे हैं। अपने खेतों में विभिन्न प्रकार की फसलों के साथ ही फल-सब्जियों का उत्पादन भी करते हैं। कृषि विभाग की विभिन्न गतिविधियों में भागीदारी के साथ ही खेती-किसानी, पशुपालन एवं डेयरी से संबंधित विभिन्न प्रशिक्षणों से भी उन्होंने अपने काश्तकारी हुनर को संवारा है। अपने खेत में वे प्रति हैक्टेयर 55 क्विन्टल मक्का, 15 क्विन्टल सोयाबीन, 50 क्विन्टल गेहूं तथा 25 क्विन्टल चने की पैदावार लेते रहे हैं। बेर, मिर्च, टमाटर की पैदावार भी उन्होंने ली है। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण (आत्मा) की ओर से चित्तौड़गढ़ में किसान कल्याण दिवस-2018 पर उन्हें श्रेष्ठ कृषक के रूप में  25 हजार रुपए का पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित भी किया जा चुका है।
उप निदेशक (कृषि विस्तार) भूपेन्द्रसिंह राठौड़ एवं परियोजना निदेशक (आत्मा) दिनेश कुमार जागा के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले में प्रगतिशील काश्तकारों की उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही खुशहाली से प्रेरित होकर अब बड़ी संख्या में किसान विभागीय योजनाओं का लाभ पाने की दिशा में आकर्षित होने लगे हैं और उन्नति कृषि को अपनाने में रुचि लेने लगे हैं।
Admin

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