काबे अर्जून लूटियो वही धनुष्य वही बाण..समय की गति न्यारी है भगवान….!

काबे अर्जून लूटियो वही धनुष्य वही बाण..समय की गति न्यारी है भगवान….!
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भारत में महाभारत. महाभारत क टीवी सिरियल का मुखय सूत्रधार समय की आवाज नेपथ्य से आ रही है- मैं समय हुं…मैं किसी का नही…कोइ मेरा नही…मेरे लिये सब एक समान फिर वह पंजा हो या कमल का फूल….! जो मेरे साथ चलता है मैं उसके साथ चलता हूं.. समय का चक्र अनूठा है मेरे भाइ। महाभारत के वीर नायक अर्जून जा जब समय नहीं था तब काबाओनें उन्हे और उनके साथ जा रहे यादवों को लूट लिया था। इसलिये कहते है की-समय समय बलवान, नहीं बलवान इन्सान,,,काबे अर्जून लूटियो वही धनुष्य वही बाण…! अर्जून के पास वही धनुष्य था जिससे उन्होंने महाभारत का युध्ध जिता था। लेकिन समय ऐसा था कि उसके पास वही धनुष्य और वही बाण होते हुये भी वह खुद को और अपने साथीओं को नहीं बचा सका। क्योंकि उसका समय नही था।

वैसा ही कुछ इन्द्रप्रस्थ-दिल्ही में हुवा और आगे भा होगा। जब उनका समय था तो कमल के फूल के पीछे लगे थे। जेल में डाले थे. आज समय का चक्र- समय का पहिया ऐसा घूमा मेरे भाई की जिन्हें जेल में डाले थे उन्होंने ही पंजे को पकड कर या दिवार फांदकर घर में घूस कर लोकअप में डाले है। समय की गति न्यारी है मेरे भाई। समय से बडा कोनो नाहीं…!

कोइ इसे बदलापुर की कहानी कह रहे है तो कोइ कह रहे है की पीसी इमानदार है, बदले की राजनिति के तहत उन्हें पकडा गया है। जो भी हो या जो कुछ भी दो लेकिन एक बात तो माननी पडेंगी की ये समय की बलिहारी ही कही जानी चाहिये। पीसी नें बचने के लिये हर उपाय अजमाये लेकिन समय उनके साथ नही। पांच साल लगे जेल के दरवाजे तक पहुंचाने में और अब के पांच साल में जेल के अंदर जाये तो कहे नहीं सकते बबुवा। क्योंकि…इ हे दिल्ही नगरिया तुं देख बबुवा….! एक बबुवा को बुवा ठग गइ मीठी मीठी बाते कर के और एक पीसी को मार गइ उनकी समय की बलिहारी….!

आज के साश्यल मिडिया में पीसी-पंजा और अन्य बातों को लेकर बहुत कुछ लिखा जा रहा है। लेकिन वह हसी मजाक के लिये ही है। सही सही देखा जाय तो समय कीसी का नही। हम 50 साल राज करने के लिये आये है ऐसा कहनेवाला की बात भी महाभारत के सूत्रधार समय ने सुनी होंगी। समय मन के भीतर किसन की तरह मंद मंद मुस्का रहे होंगे। औक कह रहे होंगे की खबर नहीं पल की मूरख बात करे है कल की….50 साल की….! दुनिया जीतनेवाला सिंकंदर दो गज जमीन के नीचे दफन हो गया। नेपोलियन भी नही रहा। कीसी समय एक रहा रशिया आज टुकडों में बंट गया। अमरिका को, समय का बलिहारी देखो ऐसा नेता मिला जो बार बार जूठ बोल रहा है…..! वहां के एक अखबार ने गिनती कर बताया के ट्रम्पबाबु कितनी बार जूठ बोले है….! हो सकता है की समय का पहिया फिर ऐसे घूमे की आज जो हिरासत या लोकअप में है वह कल फिर से सत्ता में हो.. ऐसा नहीं हो सकता ये कोई नहीं कह सकता। कुछ भी हो सकता है। कोइ दो से दोबारा आये तो कोइ 44 से 400 तक जा सकता है। समय…का पहिया…समय की बारी…. बडी भारी… जनता को तो अपनी दाल-रोटी की चिता करनी है। महाभारत का सूत्रधार जाते जाते बोले- मैं समय हूं… मैं फिर लौट कर आउंगा…. मेरी ओट देख कर कोइ किनारे पर घरौंदा न बनाये….मैं समदंर हूं लौट के आऊंगा….लौट के आऊंगा….लौट के आऊंगा…!

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