भारत की पहचान है हिन्दी, अपने देश की शान है हिन्दी

एक भाषा के रूप में हिन्दी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। हिन्दी विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसे समझने, बोलने और पढ़ने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
यह विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है, जो हमारे पारम्परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। हिन्दी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ-साथ 11राज्यों और 3 केन्द्र शासित प्रदेशों की भी राजभाषा है।
मातृभाषा का महत्व
खड़ी बोली हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि श्री भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपनी मातृभाषा का महत्व बताते हुए कहा था-
निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।
अर्थात अपनी भाषा के ज्ञान से ही सब तरह की उन्नति संभव है। लेकिन वर्तमान समय में विडम्बना यह है कि हम अपनी ही भाषा हिन्दी को दोयम दर्जे का मानते हैं और अंग्रेजी को पढ़े-लिखे लोगों की भाषा। जब-जब हिन्दी भाषा में राजकाज के काम करने की कोशिश की जाती है, तब-तब इसका विरोध किया जाता है। पता नहीं लोगों को ये बात क्यों नहीं समझ में आती कि मुट्ठी भर लोगों द्वारा बोली और समझी जाने वाली अंग्रेजी भाषा हमारी प्रथम भाषा कैसे हो सकती है?