टिकट बुकिंग का गोरखधंधा बंद! जानें दावे का सच

टिकट बुकिंग का गोरखधंधा बंद! जानें दावे का सच
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मुंबई

रेलवे सुरक्षा बल द्वारा हाल ही में एक सॉफ्टवेयर बनाने वाले रैकेट के सरगनाओं को पकड़ा गया है। ये गिरोह एएनएमएस और मैक नाम से सॉफ्टवेयर बनाकर आईआरसीटीसी की वेबसाइट के जरिए तेजी से टिकट बुक करता था। इस अवैध सॉफ्टवेयर का मार्केट में 80 प्रतिशत हिस्सा था। आरपीएफ डीजी अरुण कुमार ने दावा किया है कि इन दोनों सॉफ्टवेयर को बंद कर दिया गया है, जिसके बाद कई ट्रेनों में तत्काल बुकिंग में कन्फर्म टिकट मिलना आसान हो गया है।

आरपीएफ के अनुसार, सॉफ्टवेयर बंद होने से पहले (29 अक्टूबर 2019) ट्रेन क्रमांक 12534 सीएसएमटी-लखनऊ पुष्पक एक्सप्रेस में थर्ड एसी की तत्काल टिकटें 4 मिनट में बिक गई थीं, सॉफ्टवेयर बंद होने के बाद (9 फरवरी 2020) तत्काल टिकटें बिकने में 40 मिनट का समय लगा। सचाई यह है कि 29 अक्टूबर को दिवाली का समय था, जब डिमांड ज्यादा होती हैं। 9 फरवरी को परीक्षाओं का समय है, जब डिमांड कम होती है।

रेलवे सुरक्षा बल ने सॉफ्टवेयर टिकट बुकिंग के बिजनेस का टेरर कनेक्शन बताया है। 17 फरवरी को सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी के मालिक और फाइनैंसर अमीन कागजी को सूरत से पकड़ा है। इसी के साथ कंपनी के एडमिन अमित प्रजापति को भी सूरत से गिरफ्तार किया गया था। ये लोग सॉफ्टवेयर बनाकर मुंबई के तीन एडमिन सत्यवान (तलोजा), नूर उल हसन (गोवंडी) और अतीक रिजवी (कुर्ला) को बेचते थे। इनमें से सत्यवान को एक हमीद अशरफ नाम के आदमी का बिजनेस पार्टनर बताया जा रहा है।

डीजी अरुण कुमार के अनुसार, हमीद पर सीबीआई और अन्य एजेंसियों द्वारा टेरर केस दर्ज कराए गए हैं। हमीद का कनेक्शन कलकत्ता के राजीव पोद्दार नाम के व्यक्ति से बताया गया है। अरुण कुमार के अनुसार राजीव पोद्दार के लैपटॉप से जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े ईमेल मिले हैं। एक ओर रेलवे द्वारा टिकट बुकिंग के गोरखधंधे को आतंकवाद से जोड़ा गया है, दूसरी ओर अभी तक इस गिरोह के किसी भी आरोपी पर अभी तक ‘ऑर्गनाइज्ड क्राइम’ के तहत कार्रवाई नहीं हुई है।

सितंबर, 2019 में ही पश्चिम रेलवे विजिलेंस द्वारा कुछ एजेंट्स को पकड़ा गया था। रेलवे द्वारा आईआरसीटीसी को दो बार पत्र लिखने के बावजूद इन एजेंट्स पर साइबर क्राइम के तहत मामला दर्ज नहीं कराया गया है। 1 अक्टूबर 2018 से 25 फरवरी 20 तक कुल 6,589 मामले अवैध रूप से टिकट बुकिंग के दर्ज हुए हैं। इनमें 7,314 लोगों को रेलवे ऐक्ट-143 के तहत मामला दर्ज किया गया है, यानी इनमें से एक पर भी आईपीसी के तहत मामला दर्ज नहीं हुआ है।

आम आदमी को रेलवे काउंटर से कन्फर्म टिकट नहीं मिलता है, तब वह दलाल की शरण में जाता है। दलाल अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए कन्फर्म टिकट बुक करता है। पकड़े जाने पर रेलवे टिकट सीज कर देती है और यात्री का पैसा डूब जाता है। यह पैसा आईआरसीटीसी के पास ही रहता है। आरपीएफ ने हाल में की गई कार्रवाई में करीब 8 करोड़ की कीमत के टिकट ब्लॉक कर दिए हैं। यह पैसा भी आईआरसीटीसी के पास ही रहेगा।

आरपीएफ के अनुसार, अब तक 30 करोड़ रुपये की कीमत की टिकटें अवैध रूप से बुक हुई हैं, जिसका पता जांच में चला है। लेकिन इन टिकटों पर यात्रा हो चुकी हैं। गौरतलब है कि आईआरसीटीसी रेलवे की पीएसयू के अलावा शेयर मार्केट के जरिए बिजनेस करने वाली एक कंपनी बन चुकी है।

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