कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने दी कृषकों को समसामयिक जानकारी

पन्ना
कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के वैज्ञानिकों ने ग्राम मगरैला खुर्द एवं गुखौर का भ्रमण कर कृषकों के प्रक्षेत्र पर लगाये गये प्रदर्शनों का अवलोकन कर सलाह दी। उन्होंने कृषकों को सलाह देते हुए कहा कि पकी हुई गेहूँ चना, मसूर, सरसों की फसल की कटाई कर सुरक्षित स्थान पर रखें। खलिहान ऐसे स्थान पर बनाये जहाँ बिजली के तार आदि न हो तथा जानवरों से पूर्ण सुरक्षा हो। ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई हेतु टी.जे.एम.-3, शिखा, विराट, पी.डी.एम.-139 की बुवाई 31 मार्च तक करें।
बुवाई से पूर्व थायोमेथोक्जेम 70 डब्ल्यू.पी. अथवा इमिडाक्लोप्रिड 48 प्रतिशत की 3 ग्राम मात्रा द्वारा प्रति कि.ग्रा. बीज का उपचार करें। टमाटर से सॉस, कैचप, प्यूरी बनायें, पालक/मैथी/धनियां को सूखाकर रखे तथा बेर को सूखाकर पाउडर बनाकर रखें। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन भिण्डी में रसचूसक कीटों के नियंत्रण हेतु नीम तेल 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी अथवा कीटनाशी थायोमेथोक्जेम 25 डब्ल्यू.डी.पी. की 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
प्याज की फसल में थ्रिप्स रसचूसक कीट एवं स्टेमफीलियम ब्लाइट बीमारी जिससे पत्तियाँ टेडी, मेढ़ी हो जाती है नियंत्रण हेतु ट्राइजोफॉस 300 मि.ली. अथवा स्पाइनोसेड़ का छिड़काव करें एवं साथ में मेंकोजेव फंफूदनाशी मिलायें। प्याज की खुदाई के 15 दिन पूर्व कार्बेन्डाजिम फफूँदनाशी की एक ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से भंडारण क्षमता बढाई जा सकती है। पशुओं का धूप से बचाव करें, पशुशाला की सफाई कर गड्ढ़ो आदि को भरें तथा चूना का भुरकाव करें ठंडा पानी पिलाये तथा हराचारा की फसल नेपियर/वरसीम को भूसा के साथ मिलाकर खिलायें।