केजरीवाल बोले- हमने हिम्मत दिखाई तो योजना ही रोक दी

घर-घर राशन पहुंचाने की योजना को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को कई बिंदुओं पर घेरा है। योजना को लागू कराने की अपील के साथ ही कई सवाल पूछ कर कटघरे में खड़ा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुख्यमंत्री ने पूछा कि इस योजना को क्यों खारिज किया। जब पिज्जा-बर्गर की होम डिलीवरी हो सकती है तो फिर राशन की होम डिलीवरी क्यों नहीं हो सकती। आखिर किस बात का इस योजना से ऐतराज है। केंद्र ही राशन माफिया के साथ खड़ी होगी तो गरीबों के साथ कौन खड़ा होगा। गरीबों का कौन सुनेगा। यह वक्त लड़ने का नहीं है, एक दूसरे का हाथ पकड़ कर देश कोरोना की संकट की स्थिति से उबारना है।
दिल्ली सरकार की घर-घर राशन पहुंचाने की महत्वकांक्षी योजना को रोके जाने पर बिफरे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र से कई सवाल किए। कहा कि आदणीय प्रधानमंत्री जी प्रणाम, आज में बेहद व्यथित हूं। मुझसे हिमाकत हो जाए, भूल हो जाए तो माफ कर दीजिएगा। आपसे सीधा बात करना चाहता हूं। गरीबों को राशन बांटने की योजना को अचानक से क्यों रोक दिया गया। क्यों सर आपने ऐसा क्यों किया। पिछले 75 साल से राशन माफिया फाइलों में ही राशन जारी कर रहे है। ये राशन माफिया बहुत ताकतवर है। किसी को इन्हें ललकारने की हिम्मत नहीं हुई थी। हिम्मत की तो इसे रोक दिया गया। देखिए कितना ताकतवर है राशन माफिया कि योजना को ही खारिज करवा दिया।
कहा कि राशन को हर गरीब आदमी के घर तक पहुंचाने की सारी तैयारी हो चुकी थी, लेकिन इस योजना को शुरू होने से पहले ही रोक दिया गया। योजना पर पांच बार केंद्र सरकार की अप्रूवल ली है। केंद्र के सभी सुझावों को माना और योजना से ‘मुख्यमंत्री’ का नाम भी हटा दिया। यह राशन न ‘आप’ का है न भाजपा का है, बल्कि जनता का है। प्रधानमंत्री कृपया इसे लागू करने दें और सारा श्रेय आपका को दिया जाएगा।
केंद्र सरकार से कई बार सहमति ली गई
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार से इस योजना को लागू कराने के लिए एक बार नहीं पांच-पांच बार सहमति ली गई है। वर्चुअल प्रेस कान्फ्रेंस में फाइल को दिखाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गलत कहा जा रहा है कि केंद्र से मंजूरी नहीं ली गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कानून को लागू करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं है। कानून लागू करने में राज्य सरकार पूरी तरह सक्षम है। बावजूद केंद्र से ली गई। आपत्तियों को ठीक किया गया।
योजना का नाम तक बदल दिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को इस योजना के नाम से आपत्ति थी। मुख्यमंत्री का नाम इस योजना से जुड़ा था। इसे भी हटा दिया गया। मकसद सिर्फ राशन बांटना है, ना कि सोहरत बटोरना। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के कुछ अधिकारी कहते है कि यह केंद्र का राशन है तो ये दिल्ली सरकार क्यों बांटे। क्यों श्रेय ले दिल्ली सरकार। यह काम क्रेडिट के लिए रत्ती भर नहीं है। इस योजना को लागू कर दिया जाए। खुद दुनिया के सामने कहूंगा कि राशन योजना को मोदी जी ने लागू किया है। सारा श्रेय खुद नहीं मोदी जी को दूंगा।
देश जानना चाहता है कि योजना को क्यों खारिज किया गया
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग पूछ रहे है कि जब इस देश में पिजा, बर्गर, स्मार्ट फोन, बर्गर, कपड़े तक कि होम डिलीवरी हो सकती है तो गरीबों के घर में राशन क्यों नहीं। पूरा देश जानना चाहता है कि योजना को क्यों खारिज किया गया।
कहा जा रहा है कि कोर्ट में केस है इसलिए स्कीम खारिज कर दी। राशन दुकानदार सरकार के खिलाफ स्टे लेने गए थे। हाईकोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने स्टे नहीं लगाया तो केंद्र ने स्टे लगा दिया। लोग पूछ रहे है कि राशन डीलरों से हमदर्दी क्यों है सरकार को। अगर प्रधानमंत्री ही राशन माफिया के साथ खड़े होंगे तो गरीबों के साथ कौन खड़ा होगा। 20 लाख गरीबों को कौन सुनेगा।
कोरोना के तीसरी लहर का दिया हवाला
मुख्यमंत्री न कोरोना के तीसरी लहर का भी हवाला दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा जा रहा है कि तीसरी लहर बच्चों पर भारी पड़ेगा। ऐसे में अगर बच्चों के माता-पिता राशन की दुकान पर लाइन में लगते है तो उन्हें भी कोराना हो सकता है। राशन की दुकाने सुपर स्प्रेडर है। कितनी ऐसी गर्भवती, बुजुर्ग है जो राशन की दुकान पर नहीं जाना चाहते। इस योजना को तो पूरे देश में लागू कर देना चाहिए। राशन देने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
यह वक्त झगड़ने का नहीं है
बातों बातों में मुख्यमंत्री ने देश की अंदूरुनी लड़ाई का ठिकरा भी प्रधानमंत्री पर फोड़ा। कहा कि लोगों को लगने लगा है कि केंद्र सरकार सब से झगड़ रही है। ममता दीदी से, झारखंड सरकार से, महाराष्ट्र से, लक्षद्वीप से और अब दिल्ली राशन योजना को लेकर दिल्ली से। इस बात से लोग दुखी है, ऐसे देश कैसे चलेगी। मुख्यमंत्री ने पूछा कि आप हमसे क्यो लड़ रहे है। हम सब भारतवासी है। ऐसे में आपस में लड़ेंगे तो कोरोना से कैसे लड़ पाएंगे। हम सब आपस में लड़ेंगे तो देश कैसे चलेगा। कल सब लोग अखबारों के हेडलाइन में यह पढना चाहते है कि मोदी जी ने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर गरीब लोगों के घर-घर तक राशन पहुंचाया। यह नही सुनना चाहते कि केंद्र सरकार ने फिर से एक अच्छी योजना को रोक लिया। योजना राष्ट्र हित में है। इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए।
पिछली सभी सरकारों को लिया आड़े हाथ
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक की सरकारों ने देश की गरीब लोगों को 75 साल तक लाइनों में खड़ा किया। 75 साल में कोई सरकार इन माफियाओं को खत्म करने की हिम्मत नहीं की। राशन माफियाओं का दबदबा रहा है। 17 साल पहले इस माफिया को ललकारने की हिम्मत की थी। तबदिल्ली की झुग्गियों में एक एनजीओ में काम किया करता था। हिम्मत की नतीजन सात बार खतरनाक हमले हुए। एक बहन की गर्दन तक कट गई। हालांकि उनकी जान नहीं गई। गरीबों को अगले 75 साल लाइनों में मत खड़ा कीजिए। नहीं तो ये लोग किसी को माफ नहीं करेंगे। फाइलों में जनता कब तक राशन लेती रहेगी। मकसद श्रेय लेना नहीं है।