नैनीताल : चेचक खत्म कर बचाई करोड़ों जान

महामारी फैलाने वाले वायरस से भी घातक हो सकती है किसी बेहद उपयोगी संस्थान की उपेक्षा, अनदेखी और लापरवाही। खासकर जब वह संस्थान बड़ी से बड़ी महामारी का उन्मूलन करने की क्षमता रखता हो और इसे प्रमाणित भी कर चुका हो। इसका जीता जागता उदाहरण है नैनीताल के पास स्थित स्टेट वैक्सीन इंस्टीट्यूट पटवाडांगर।
नैनीताल से लगभग 12 किमी दूर हल्द्वानी मुख्य मार्ग से लगे हुए 103 एकड़ के विशाल और लगभग चार अरब रुपये कीमत के बेशकीमती परिसर को 18 वर्षों से किसी रूप में उपयोग में नहीं लाया जा रहा है।
इसी संस्थान के नाम, 50 करोड़ लोगों की जान ले चुकी चेचक जैसी घातक वैश्विक महामारी की वैक्सीन तैयार कर इसके उन्मूलन में योगदान देने सहित तमाम घातक रोगों के वैक्सीन उत्पादित करने का रिकॉर्ड दर्ज है। कोरोना महामारी के गंभीर हालात और वैक्सीन के महत्व को देखते हुए इस संस्थान का उपयोग पूर्व की भांति वैक्सीन उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
वर्ष 1903 में हुई थी स्थापना
विभिन्न महामारियों जनित व अन्य घातक रोगों से मुकाबला करने के लिए ही वर्ष 1903 में स्टेट वैक्सीन इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई थी और यह अपने उद्देश्य में बेहद सफल भी रहा। यह संस्थान पूर्व में राज्य रक्षालस संस्थान (स्टेट वैक्सीन इंस्टीट्यूट) के नाम से प्रसिद्ध था लेकिन राजनीतिक उदासीनता और नौकरशाही की विचित्र भूलभुलैया में उलझ कर यह संस्थान फाइलों में ही दम तोड़ रहा है।
उपेक्षा और काहिली का इससे बड़ा उदाहरण यह है कि कभी भव्य रहे इसके शानदार भवन, लैब, अस्पताल और गेस्ट हाउस आदि रखरखाव के अभाव में बुरी तरह जीर्ण शीर्ण पड़े हैं। इनमें सुरक्षा गार्ड, माली आदि को छोड़ अन्य कोई कर्मचारी कार्यरत नहीं हैं। इसके अस्पताल में क्षेत्रीय ग्रामीणों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधा सहित परिसर में रोजगार भी मिलता था। यह सब वर्षों से ठप है।