पंजाब की राजनीति में ‘एमपी फैक्टर’

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी पार्टी को सत्ता दिलाने के लिए खूब मेहनत की। चुनावों में सिंधिया गुट द्वारा उन्हें सीएम का चेहरा घोषित करने की मांग भी उठी थी, लेकिन आलाकमान ने ऐसा नहीं किया। अब ऐसा ही घटनाक्रम फिर से पंजाब की राजनीति में दिखाई देने लगा है। चुनावों में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की निर्णायक भूमिका है। इस बीच सिद्धू ने यह कहकर कि बगैर दूल्हा-दुल्हन के बारात नहीं हो सकती, साफ कर दिया है कि मुझे सीएम पदल का चेहरा घोषित किया जाए।
पंजाब कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए सिद्धू के खेमे के लोग दबी जुबान में ज्योतिरादित्य सिंधिया का उदाहरण भी दे रहे हैं कि कैसे उन्होंने सरकार बनने के बाद किस तरह पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस की बहुमत वाली सरकार गिरा दी। जबकि दूसरी तरफ आलाकमान को कमलनाथ और भूपेश बघेल की तरह उनके जैसे पूर्व प्रदेश अध्यक्षों को मुख्यमंत्री बनाने की बात का हवाला देते हैं। उनके करीबी लोग चाहते हैं कि जिस तरह 2017 में कांग्रेस ने बतौर प्रदेश अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनावों में सीएम का चेहरा घोषित किया, ठीक उसी तर्ज पर सिद्धू को भी सीएम फेस घोषित किया जाए। सिद्धू और उनकी टीम एक रणनीति के तहत लगातार चन्नी सरकार पर हमलावर है। बेअदबी मामले और विक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ एफआईआर के मुद्दे को उठा कर सिद्धू ने खुद को मजबूत किया है।