सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक शिक्षक के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले का आधिकारिक प्रपत्रों में खुलासा नहीं करने पर बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए कहा कि सरकारी पद पर रहने के इच्छुक कर्मचारी को पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ काम करना चाहिए। यह व्यक्ति 1999 में गणित के एक प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक के रूप में शामिल हुआ था। 2008 में उसे तब सेवा से हटा दिया गया था, जब यह पाया गया कि उसने राजस्थान में दर्ज मामले की जानकारी छिपाई थी। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने 31 मार्च को पारित अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी पर युवा छात्रों के करियर को आकार देने की जिम्मेदार थी। वह असत्य पर आधारित अपने आचरण से विद्यार्थियों को किस प्रकार का संदेश देंगे?
शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पारित दिसंबर 2012 के आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार और अन्य द्वारा दायर अपील की अनुमति दी, जिसने मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को रद्द कर दिया था। कैट ने सेवा से हटाने के आदेश को चुनौती देने वाले व्यक्ति की अर्जी खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए कैट द्वारा पारित आदेश को बहाल कर दिया। अदालत ने कहा कि सरकारी पद पर रहने के इच्छुक कर्मचारी को अत्यंत सद्भावना और सच्चाई के साथ कार्य करना होता है।