सेल्फी हाजिरी खिलाफ शिक्षकों 11 से 13 सितंबर तक प्रदर्शन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शिक्षक सेल्फी से हाजिरी लगाने के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों ने ऐलान किया है कि वे अपने निजी मोबाइल फोन से न तो कोई सूचना भेजेंगे और न ही विभागीय सूचना लेंगे। शिक्षक दिवस को वे श्शिक्षक सम्मान बचाओ दिवसश् के रूप में मनाएंगे और 11 से 13 सितम्बर तक राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
शिक्षकों ने ऐलान किया है कि इसके बाद भी उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी तो वे राजधानी में विशाल रैली करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि यह आदेश जताता है कि सरकार शिक्षकों पर विश्वास नहीं कर रही है। जब अन्य विभागों में हाजिरी का यह तरीका नहीं है तो बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में इसे लागू करने का क्या औचित्य है। उप प्राथमिक शिक्षक संघ ने विरोध का ऐलान करते हुए कहा है कि अब कोई भी शिक्षक अपने निजी फोन से सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं करेगा और न ही मिड डे मील में बच्चों की संख्या भेजेगा। जो शिक्षक ब्लॉक सह समन्वयक या न्याय पंचायत समन्वयक हैं, वे अपने पद से इस्तीफा देकर शिक्षक के पद पर कार्यभार ग्रहण करके विभागीय अधिकारियों के शोषण का विरोध करें। वे शिक्षक जो बिना किसी अतिरिक्त वेतन के प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर काम कर रहे हैं या किसी अन्य स्कूल का प्रभार लिए हैं तो वे तुरंत प्रभार वापस करें और शोषण का विरोध करें।
संघ के अध्यक्ष दिनेश चन्द्र शर्मा ने कहा है कि शिक्षक अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं। ऐसे में उनके लिए अलग से हाजिरी की व्यवस्था करना, उनका अपमान है। इसके साथ ही शिक्षकों ने 12 सूत्रीय मांगपत्र भी जारी किया है। इसमें 40 दिन की गर्मी की छुट्टी की जगह इतने दिनों के उपार्जित अवकाश, महीने के दूसरे शनिवार को छुट्टी, दूरदराज और आकांक्षी जिलों के शिक्षकों को गृह जनपद में तबादला, हर स्कूल में लिपिक और चपरासी को नियुक्त करने की मांग भी की है। संघ ने मुख्यमंत्री और अपने सभी सदस्यों को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि कुछ जूनियर स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी नियुक्त हैं लेकिन वे बीएसए या बीईओ के घर के काम करते हैं या उनकी गाड़ी चलाते हैं। उनकी जगह पर शिक्षक स्कूलों का ताला खोलता है, सफाई करता और किसी के आने पर नाश्ता-पानी भी लाता है।