पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था पर प्रकट की चिंता

हजारीबाग
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर से अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता प्रकट की है। उन्होंने कहा है कि वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। बाजार में कोई ताजा निवेश नहीं है। सरकार के पास विकास पर खर्च करने के लिए पैसा नहीं है। निजी क्षेत्रों का निवेश दो दशकों में पहले जैसा नहीं हुआ है। उद्योग व उत्पादन खत्म हो गया है। कृषि संकट में है।
इस दौरान यशवंत सिन्हा ने कहा कि विमुद्रीकरण एक अस्वाभाविक आर्थिक आपदा साबित हुआ है। जीएसटी ने भी कहर ढाया है। आरबीआई से 1.76 लाख करोड़ सरकार ले रही है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि 2016-17 में नोटबंदी के बाद 30 हजार करोड़, 2017-18 में 60 हजार करोड़ और 2018-19 में 1.76 लाख करोड़ आरबीआई से लेना तर्कसंगत नहीं है। सरकार आरबीआई पर दबाव दे रही है। इससे ऑटोनोमी पर असर पड़ रहा है।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है। बैंकों को मर्ज करने का निर्णय बैंकर्स व ट्रेड यूनियन को विश्वास में लेकर नहीं लिया गया। जो समय चुना गया, वह भी गलत है। अब 10 बैंक अधिकारी, कर्मचारी, खाता और सिस्टम के विलय में ही लगे रहेंगे। सब काम छोड़ इस काम में लगे रहने से एनपीए और बढ़ेगा। कर्ज देने का काम नहीं हो पाएगा। इसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। वहीं पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पावर, स्टील और सीमेंट के लिए कोल माइनिंग आवंटित किए जा रहे हैं। इस प्रावधान में भारत के निजी सेक्टर में पूरी तरह से काम नहीं हो पा रहा है। विदेशी कंपनियों को क्यों बुलाया जा रहा है।