चंदूलाल मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट के लिए HC से राहत, दूसरे कॉलेज में होंगे शिफ्ट

बिलासपुर
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में संचालित चंदूलाल चंद्राकर निजी मेडिकल कॉलेज के उन विद्यार्थियों को हाईकोर्ट से राहत मिली है, जो कॉलेज की मान्यता समाप्त होने के बाद से परेशान थे। एमबीबीएस के इन परेशान विद्यार्थियों ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिकाएं लगाई थीं, जिसमें हाई कोर्ट के सिंगल बैंच ने राज्य शासन को छात्रों को दूसरे कॉलेज में मर्ज किए जाने के हिसाब से एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। समिति प्रपोजल तैयार कर एमसीआई को दी। साथ ही ये भी बताना होगा कि कितने छात्रों को किस कॉलेज में भेजा जायेगा। अब इस मामले में 16 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।
चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज को पिछले दो सालों से एमसीआई ने जीरो ईयर घोषित कर कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी है। चंदूलाल चन्द्राकर मेडिकल कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के एमबीबीएस करने की मान्यता दी गई थी, लेकिन 150 स्टूडेंट्स के आधार पर कॉलेज में एमसीआई के नॉर्म्स के अनुसार संसाधन की कमी थी। कॉलेज में 130 फैकल्टी डॉक्टर, 6 फंडामेंटल लैब्स, लाइब्रेरी जरूरी इक्यूपमेंट्स और 750 बिस्तरों का अस्पताल विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित होने चाहिए। इसके बाद भी इस मेडिकल कॉलेज में 18 फैकल्टी ही हैं न कोई फंडामेंटल लैब है और न ही लाइब्रेरी।
दायर याचिका में दी गई जानकारी के मुताबिक कॉलेज का अस्पताल भी वीरान पड़ा है। डॉक्टरों को चार माह का वेतन नहीं मिलने से सभी ने रिजाइन कर दिया है। इस हाल में स्टूडेंट्स एमबीबीएस की पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। इतना ही नहीं जिनका एमबीबीएस कोर्स पूरा हो गया है, वे इटर्नशिप नहीं कर पा रहे थे। मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई और इंटर्न कर रहे विद्यार्थियों ने राज्य सरकार से गुहार लगाई थी कि उनको दूसरे कॉलेज में मर्ज कर दिया जाए। इस मामले को लेकर स्टूडेंट्स ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से भी मुलाकात की थी। स्टूडेंट्स ने कॉलेज की मान्यता खत्म होने और एमसीआई की रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की थी। इस मामले में हाई कोर्ट ने शासन को निर्देशित किया है।