सरकारी बैंकों के साथ हुआ 1,13,374 करोड़ का फ्रॉड

नई दिल्ली
संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थानों में 1,13,374 करोड़ रुपए के फ्रॉड हुए। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि 2015 में सरकार ने संदिग्ध धोखाधड़ी से निपटने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पी.एस.बी.) के लिए 50 करोड़ रुपए से अधिक का एक फ्रेमवर्क जारी किया था। इसने फ्रेमवर्क के माध्यम से व्यापक संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधारों की स्थापना की थी और धोखाधड़ी बैंकिंग प्रथाओं की जांच के लिए अन्य कदम उठाए थे। उन्होंने कहा कि दबाव वाले कर्ज में पारदर्शिता आने के चलते सरकारी बैंकों के डूबे हुए कर्ज में लगातार वृद्धि देखने को मिली है।
इसकी जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के वैश्विक परिचलान से प्राप्त आंकड़ों से मिलती है। वित्तमंत्री ने कहा कि 31 मार्च 2015 को सरकारी बैंकों का नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एन.पी.ए.) 2,79,016 करोड़ रुपए था जो 31 मार्च 2016 को 6,84,732 करोड़ और 31 मार्च 2018 को 8,95,601 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। उन्होंने कहा कि सरकार के पहचान, समाधान, पूंजीकरण और सुधार प्रयासों के चलते इन बैंकों के एन.पी.ए. में 1,68,305 करोड़ रुपए की गिरावट आई है, अब यह 7,27,296 करोड़ रुपए है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी बैंकों के एन.पी.ए. पर लगातार नजर रखने और उस पर उचित कार्रवाई व रिजर्व बैंक द्वारा गड़बडिय़ों व घोटालों पर कानूनी कार्रवाई से हालात बेहतर हुए हैं। इससे कई फ्रॉड का पर्दाफाश हुआ है। इसका जिक्र रिजर्व बैंक की दिसम्बर 2019 की रिपोर्ट में भी है। शैड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों और अन्य चुनिंदा वित्तीय संस्थानों के साथ हुए फ्रॉड का स्तर वित्त वर्ष 2016-17 में 23,934 करोड़ रुपए, वित्त वर्ष 2017-18 में 41,167 करोड़, वित्त वर्ष 2018-19 में 71,543 करोड़ और मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में 1,13,374 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।