जल्द खत्म होगी उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों की हड़तालः राज्य सरकार

नैनीताल
उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों की ओर से कई दिनों से चल रही हड़ताल जल्द खत्म हो जाएगी। सरकार हड़ताल खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। साथ ही हड़ताली कर्मचारियों को मनाने के लिए उनसे बातचीत की जा रही है। राज्य सरकार की ओर से बुधवार को यह आश्वासन उच्च न्यायालय को दिया गया है। सरकार के जवाब से संतुष्ट होने के बाद न्यायालय ने जनहित याचिका को पूर्ण रूप से निस्तारित कर दिया। राज्य में पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ जनरल, ओबीसी के लाखों कर्मचारी पिछले कई दिनों से हड़ताल पर चले गए है।
कर्मचारी पदोन्नति में आरक्षण का विरोध कर रहे हैं। हड़ताली कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद पदोन्नति का रास्ता नहीं खोल रही है। पदोन्नति सूची जारी नहीं कर रही है। हड़ताली कर्मचारियों के इस कदम को देहरादून निवासी ललित कुमार की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली पीठ ने इस मामले को दूसरी पीठ को सौंप दिया था। न्यायाधीश रवि मलिमथ एवं न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की युगलपीठ में इस मामले में सुनवाई हुई। सरकार की ओर से अदालत में महाधिवक्ता एसएन. बाबुलकर खुद पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार हड़ताल को लेकर गंभीर है। हड़ताल खत्म करवाने के लिए सरकार आवश्यक कदम उठा रही है। हड़ताली कर्मचारियों से बातचीत की जा रही है।
हड़ताली कर्मचारी जल्द काम पर लौट आयेंगे। महाधिवक्ता की ओर से दिए गए आश्वासन को अदालत ने रिकार्ड किया और उसके बाद जनहित याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया। वहीं इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि पदोन्नति में आरक्षण की खिलाफत को लेकर उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी विगत 2 मार्च से हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते पूरे प्रदेश में राजकीय कार्य बाधित हो गए हैं।
इससे जनता त्रस्त है। हड़ताल गैर कानूनी है। हड़ताली कर्मचारियों की ओर से उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की जा रही है। हड़ताल सरकारी सेवा नियमावली के भी खिलाफ है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से मांग की गयी कि अदालत हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के लिए सरकार को निर्देशित करे।