विश्व किडनी दिवस: गंदा पानी और जंक फूड मुख्य कारण

रायपुर
अनियमित भोजन और भागम -भाग से भरी जिंदगी ने लोगो के दिनचर्या बिगाड़ दिया है जिसके कारण इन दिनों आमजनो में किडनी संबधी अनेक बीमारी देखने को मिल रहे है। यह कहना है राजधानी स्थित निजी अस्पताल में सेवाएं दे रहे डॉ सुरेंद्र धर्मानी का जो बीते 28 सालो से वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट के रूप में कार्य कर रहे है।
आज विश्व किडनी दिवस के उपलक्ष्य में जनता से रिश्ता से रूबरू हुए डॉ धर्मानी ने बताया कि ,किडनी जीवन की रक्तस्नायु के बाद प्राणजीविका के तौर पर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर को पूर्ण रूप से संचालित करने में मदद करता है ऐसे में जरुरत है सही जागरूकता के साथ जानकारी और उपचार की जिससे इस लाइलाज बीमारी को भी ठीक किया जा सकता है।
पहले से ज्यादा अब अत्याधुनिक तकनीकों से इलाज संभव : 17 साल बॉम्बे के के.वाय एम अस्पताल में सेवाएं देने के बाद पिछले 11 वर्षो से प्रदेश में अपनी सेवा दे रहे डॉ धर्मानी ने बताया कि ,पहले लोगो को 40 वर्ष की उम्र में देर से किडनी रोग के बारे में पता चलता था तब संसधान नहीं थे। उन्होंने बताया कि ,मरीजों में किडनी रोग में सिर्फ क्रोनिक डिजीज का नाम सुनते ही हिम्मत हार जाते है। इसका मुख्य कारण है जागरूकता की कमी क्रोनिक किडनी डिजीज का भी इलाज संभाव है इसमें बीमारी के कारणों का पता कर दवाई देकर बीमारी बढऩे के रफ़्तार को कम किया जाता है.दस में से पांच गंदा पानी के चलते किडनी रोग पीडि़त : किडनी रोग से अब छोटे बच्चे भी ग्रसित होते जा रहे है।
डॉ धर्मानी ने बताया कीं किडनी रोग की प्रमुख कारण गंदा पानी है जिसे लोग पीकर इस बीमारी से ग्रसित हो रहे है। वही अनियमित भोजन और जंक फ़ूड के चलते भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। शहर के 10 प्रतिशत लोग किडनी बीमारी से ग्रसित वही उनमे 5 प्रतिशत लोगो को किडनी डायलिस की जरुरत है।
इस बढ़ती समस्या पर डॉ सुरेंद्र ने बताया कि – पुरानी दकिय़ासुनि बातो पर न जाए कि 40 साल में किडनी रोग होसकता है ऐसा नहीं है किडनी के लक्षण अक्सर देर से पता चलता है ऐसे में बिना देर किये जाँच कराये 150 से 200 रूपए में किडनी टेस्ट करवा सकते यही जिसमे ब्लड क्रेटीन और यूरिन क्रेटीन जैसे जाँच से प्राथमिक किडनी रोग के बारे में पता चल सकता है जिससे समय रहते इलाज किया जा सकता है। आज किडनी हेल्थ फॉर एवरीवन एवरीवेयर : हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को ‘वल्र्ड किडनी डेÓ मनाया जाता है। इस साल दुनियाभर में यह खास दिन 12 मार्च को मनाया जा रहा है। वल्र्ड किडनी डे के दिन हर साल एक खास थीम रखी जाती है।
डॉ सुरेंद्र धर्मानी ने ऐसे दो घटनाओ को साझा किया जिसमे डॉ भी डऱ जाते है लेकिन तब हिम्मत न हारे मरीज ही आपकी प्रेरणा बनते है। उन्होंने बताया कि आज से चार साल पंडरी में रहने वाले एक 8 साल का बच्चा आया था जिसे लेट से पता चला की उसकी दोनों किडनी खराब होगयी है। माता-पिता की आर्थिक हालत खरब थी तब वे आगे आये उन्होंने सब चीज़ भूलकर इलाज किया बच्चा तीन बार क्रिटिकल हालत में वेंटिलेटर में गया उन्होंने हिम्मत हार लिया था लेकिन मरीज ने नहीं उस बच्चे के आत्मविश्वास के चलते उसका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया और आज वह नार्मल लाइफ जी रहा है।
वही शहर के ही कटोरा तालाब निवासी एक महिला आयी थी जिनकी बच्ची जिसका नाम श्रेया है उसकी आई विजिन बहुत कम थी जिसकी किडनी में प्रॉब्लम थी उस बच्ची को उसकी माँ ने ही किडनी दिया था चमत्कार यह हुआ की वो बच्ची किडनी ट्रांसप्लांट के बाद आँखों की रौशनी भी बढ़ गयी है अच्छी लाइफ जी रही है।डॉ में भी इंसानियत होती है ऐसे मरीज के लिए डॉ सुरेंद्र धर्मानी को उनके इस काम के लिए अन्य डॉ भी सपोर्ट हो गया था।