राज्यों में लॉकडाउन का डर क्यों?

कोरोना से लड़ने के लिए दुनिया के कई देशों ने लॉकडाउन लगाया हुआ है। भारत में भी तीन मई तक लॉकडाउन में रहना होगा, 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में गिरावट ना होने की वजह से लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाया था।
गुजरात को लेनी पड़ी वित्तीय सहायता
लॉकडाउन में केंद्र से ज्यादा राज्यों के बीच डर का माहौल है। कई सालों के बाद गुजरात सरकार को वित्तीय संस्थानों से सहायता लेनी पड़ी। कोरोना महामारी की वजह से सरकार के धनकोष में कमी आई। अप्रैल के पहले हफ्ते में गुजरात सरकार ने साढ़े सात फीसदी की सालाना ब्याज दर से 2,100 करोड़ रुपये की मदद ली।
गुजरात सरकार को हर महीने 3,150 करोड़ रुपये की जरुरत पड़ेगी ताकि सरकार अपने पांच लाख कर्मचारियों का वेतन दे सके और 1,500 करोड़ रुपये की मदद से राज्य के पेंशनधारकों को पेंशन दे पाए। इसके अलावा और खर्चों के लिए भी सरकार को राशि की जरुरत पड़ सकती है।
1956 के बाद केरल की अर्थव्यवस्था सबसे दौर में
कोरोना से लड़ने के लिए ज्यादातर राज्य केरल मॉडल अपनाने पर विचार कर रहे हैं लेकिन केरल के लिए दुखद खबर ये है कि 1956 के बाद केरल अपनी अर्थव्यवस्था के अबतक के सबसे बुरे दौर से गुजरेगी।
2018-19 के सकल राज्य घरेलू उत्पाद के आंकड़ों के आधार पर 21 दिन के लॉकडाउन में ही केरल को 82 फीसदी सकल राज्य घरेलू उत्पाद का नुकसान हो गया है। अगले 19 दिन के लॉकडाउन से लगभग 70,000 करोड़ रुपये के नुकसान होने की संभावना है।
केरल पहला राज्य है जिसने कोरोना से लड़ने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज देने का एलान किया था। अब राज्य ने 15 साल के लिए बाजार से 8.96 फीसदी सालाना ब्याज की दर से 6,000 करोड़ रुपये की राशि ली है।
लॉकडाउन में सशर्त ढील से राज्यों को राहत
इसके अलावा कुछ अन्य राज्यों की वित्तीय हालत बहुत अच्छी नहीं है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक अप्रैल के शुरू को दो हफ्तों में ही राज्य सरकारों ने कुल 44,000 करोड़ रुपये की राशि कर्ज पर ले ली है।
कोरोना महामारी ने केंद्र से ज्यादा राज्यों को बुरी तरह प्रभावित किया है। राज्यों के लिए राजस्व का एक बड़ा माध्यम अप्रत्यक्ष कर होते हैं। पेट्रोल-डीजल, अल्कोहल, प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन पर लगने वाले अप्रत्यक्ष करों से राज्यों का राजस्व बनता है।
सोमवार यानि 20 अप्रैल से लॉकडाउन में कुछ शर्तों के साथ छूट से राज्य राहत की सांस ले पाएंगे। तेल से आने वाला राजस्व एक बड़ा योगदान रखता है, इस छूट से राज्य थोड़ी राहत महसूस करेंगे। हालांकि गैर जरूरी वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी राजस्व में बढ़ोतरी होने में थोड़ा समय लगेगा।
लगभग 80 फीसदी जीएसटी राजस्व गैर जरूरी वस्तुओँ पर लगने वाले जीएसटी से आता है। जबकि ज्यादातर जरूरी वस्तु और सेवा या तो करमुक्त हैं या फिर कम स्लैब में आती है। वहीं केंद्र सरकार वेतन और मैन्यूफैक्चरिंग पर बनने वाले कर की आय पर निर्भर रहती है, हालांकि ये क्षेत्र भी प्रभावित हुए हैं लेकिन राज्यों के राजस्व पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।
चीन ने सोमवार को भारत की एफडीआई पर नई रणनीति को लेकर भारत की आलोचना की है। चीन का कहना है कि भारत की नई योजना वैश्विक व्यापार संगठन के सिद्धान्त गैर-पक्षपात का उल्लंघन करती है। पिछले हफ्ते भारत की सरकार ने देश की सीमा से सटे विदेशों से निवेश निकासी पर मंजूरी लेना जरूरी कर दिया है।