बगवाल मेले में इस बार रक्षाबंधन पर नहीं बहेगा खून

मां बाराही धाम देवीधुरा में कोरोना महामारी के चलते लोग बगवाल के रोमांच से वंचित रहेंगे, लेकिन एक ऐसी नजीर के साक्षी जरूर बनेंगे, जिसे वह वर्षों तक याद रखेंगे। बगवाल में हिस्सा लेने वाले योद्धा सदियों पुरानी परंपरा को बरकरार रखने के लिए रक्तदान जैसे विकल्प पर विचार कर रहे हैं। ज्यादातर योद्धाओं का मानना है कि रक्तदान से वर्षों पुरानी मान्यता जहां टूटने से बचेगी वहीं कोविड-19 महामारी अधिनियम का उल्लंघन भी नहीं होगा।
हर साल रक्षाबंधन के दिन होने वाली बगवाल इस बार तीन अगस्त को होनी है, लेकिन कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए 28 जून को ही बगवाल नहीं करने का निर्णय लिया जा चुका है। ऐसे में बगवाल की परंपरा निभाने की गंभीर चुनौती है। मां बाराही मंदिर समिति और बगवाल से जुड़े योद्धाओं के समक्ष सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए देवी को प्रसन्न करने के लिए एक व्यक्ति के बराबर रक्त बहाने की परंपरा को निभाने की गंभीर चुनौती है।
ऐसे में बगवाली वीर शिविर लगाकर रक्तदान के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। हालांकि इसे अंतिम रूप देने से पहले अगले हफ्ते बगवाली वीरों के प्रतिनिधि मंत्रणा करेंगे। अगर रक्तदान शिविर पर मोहर लग जाती है तो यह एक नजीर साबित होगी। ऐसे में चारों खामों के प्रतिनिधि रक्तदान करेंगे।