भारत की ई-कॉमर्स नीति को लेकर अमेरिकी समूह चिंतित

अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे ई कॉमर्स दिग्गजों की फ्लैश सेल पर नकेल कसने वाली भारत की ई कॉमर्स नीति को लेकर अमेरिकी उद्योग विशेषज्ञ समूह ने चिंता व्यक्त की है। यूएस चैंबर ऑफ कामर्स का मानना है कि भारत के कड़े नियमों से ई कॉमर्स कंपनियों के लिए काम करना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा। एक आंतरिक ई मेल से इस चिंता का खुलासा हुआ है। भारत ने इस हफ्ते अमेजन और वॉलमार्ट के फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं की ‘फ्लैश सेल’ को सीमित करने के लिए रूपरेखा तैयार की है। इनके निजी लेबल पर लगाम लगाने के साथ साथ इन कंपनियों में ग्राहकों की शिकायतों का निस्तारण करने के लिए एक अलग प्रणाली बनाना अनिवार्य किया है। भारत-अमेरिका व्यापार परिषद ने एक अंदरूनी मेल में भारत के इन नियमों पर चिंता जाहिर की है। गौरतलब है कि अमेजन और वालमार्ट इस परिषद के सदस्य हैं।
ई-कॉमर्स नियमों को सख्त करने की तैयारी
धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार ने देश के ई-कॉमर्स नियमों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। सरकार ने कहा है कि जिन बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है, उनमें कुछ तरह की फ्लैश सेल पर बैन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की ओर से नियमों को नहीं मानने पर कार्रवाई शामिल है।
डीपीआईआईटी के साथ पंजीकरण अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव
सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर गलत और भारी छूट के साथ धोखाधड़ी पूर्ण बिक्री पर प्रतिबंध लगाने व डीपीआईआईटी के साथ इन कंपनियों का पंजीकरण अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखते हुए उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में संशोधन करने के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसके अलावा सरकार इंटरनेट पर खोज परिणामों में हेराफेरी करके उपयोगकर्ताओं को गुमराह करने पर प्रतिबंध और मुख्य अनुपालन अधिकारी एवं निवासी शिकायत अधिकारी की नियुक्ति सहित कुछ अन्य संशोधनों पर भी विचार कर रही है।
ई-कॉमर्स नियम, 2020 का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई
प्रस्तावित संशोधनों में ई-कॉमर्स संस्थाओं को किसी भी कानून के तहत अपराधों की रोकथाम, पता लगाने और जांच और अभियोजन के लिए सरकारी एजेंसी से आदेश प्राप्त होने के 72 घंटे के भीतर सूचना प्रदान करनी होगी। उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 को पहली बार पिछले साल जुलाई में अधिसूचित किया गया था। इसके उल्लंघन में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में पारदर्शिता लाना है उद्देश्य
उल्लेखनीय है कि मौजबदा समय में ई-कॉमर्स कंपनियां कंपनी अधिनियम, भारतीय भागीदारी अधिनियम या सीमित देयता भागीदारी अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं न कि डीपीआईआईटी के साथ अलग से। मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में पारदर्शिता लाना और नियामक व्यवस्था को और मजबूत करना है।