कॉलेजियम की सिफारिश लंबित

देश की विभिन्न हाईकोर्टों के कॉलेजियम की सिफारिशों व सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा उस पर मुहर के बावजूद 2018 के बाद से 23 प्रत्याशियों के नाम ऐसे हैं, जो सरकार के पास मंजूरी के लिए अटके हुए हैं।
उच्च अदालतों में नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी। कम से कम सात हाईकोर्टों ने इन 23 नामों की सिफारिश हाईकोर्ट जजों के रूप में नियुक्तियों के लिए की थी। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इन सभी नामों को पुनर्विचार की सिफारिश के साथ लौटा दिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने इन नामों को कई बार सरकार के पास वापस भेजा है।
उन्होंने बताया कि कर्नाटक हाईकोर्ट एक और जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में एक जज की नियुक्ति के लिए दो नामों को सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम केंद्र सरकार को दो बार भेज चुका है। ये दोनों प्रत्याशी वकील हैं। जम्मू-कश्मीर के प्रत्याशी का नाम 2018 में भेजा गया था, जबकि कर्नाटक के वकील का नाम 2019 में भेजा गया था। 31 दिसंबर 2021 तक विभिन्न हाईकोर्टों द्वारा भेजे गए कुल 23 नाम ऐसे हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सरकार द्वारा लौटाए जाने के बाद वापस भेजा है, लेकिन इन्हें अब भी सरकार के पास मंजूरी का इंतजार है।
2921 में कुल 120 हाईकोर्ट जजों को नियुक्त किया गया, जबकि 2016 में रिकॉर्ड 126 हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति की गई थी। देश की 25 हाईकोर्टों में जज के कुल पद 1098 हैं। 1 दिसंबर 2021 तक इनमें 696 जज कार्यरत थे और 402 पद रिक्त थे।
सरकार रिक्त पदों पर लगातार नियुक्तियां कर रही है। सरकार व न्यायपालिका के बीच इसे लेकर एकीकृत व समन्वित प्रयास जारी हैं। जजों की नियुक्ति के पूर्व राज्यों व केंद्रीय स्तर पर विभिन्न संवैधानिक प्राधिकारियों की मंजूरी लेना होती है।