नरेंद्र मोदी कार्यकाल में बदलीं ये दशकों पुरानी बजट परंपराएं

देश का बजट पेश होने में महज कुछ दिन का समय ही शेष रह गया है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नरेंद्र मोदी सरकार का 10वां आम बजट पेश करेंगी। इस बीच आपको थोड़ा बजट इतिहास के बारे में जानना भी जरूरी है। हम आपको बता रहे हैं केंद्र में भाजापा की अगुआई वाली अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने बजट के साथ जुड़ी परंपराओं में क्या-क्या बदलाव किया।
साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले तक बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था। लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा को बदला और आम बजट पेश करने की तारीख फरवरी के अंत के बजाय शुरुआत से कर दी। यानी बजट 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। यह बजट परंपराओं में एक बड़ा बदलाव था।
परंपराओं को बदलने की दौड़ में नरेंद्र मोदी सरकार ने 1924 से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को भी साल 2016 में बदलने का काम किया था। आपको बता दें कि 2016 से पहले रेल बजट को आम बजट से कुछ दिन पहले अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2016 में इसे बदलते हुए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश किया था। गौरतलब है कि देश का पहला रेल बजट वर्ष 1924 में पेश हुआ था।
बजट इतिहास की कई परंपराओं को बदलते हुए मोदी सरकार ने एक और बड़ा बदलाव किया। ये बदलाव था देश के रईसों पर लगने वाले वेल्थ टैक्स को हटा दिया गया और इसके बजाय सरचार्ज लगाया जाने लगा। 2016 के बजट में सरकार ने 1 करोड़ से अधिक की कमाई करने वाले अमीरों पर सरचार्ज 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया।