लता का गाना सुनकर नेहरू नहीं रोक पाए अपने आंसू

आज एक सुरीले युग का अंत हो गया। भारत की स्वर कोकिला ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लता जी अपनी नायाब आवाज से करोड़ों लोगों के दिल जीता। लता मंगेशकर ने अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया। चाहें स्टूडियो हो या स्टेज जब वह गाना शुरू करती थीं तो बस हर कोई मंत्रमुग्ध रह जाता था। लता जी आज इस दुनिया को छोड़ गई हैं लेकिन उनकी आवाज ही पहचान है। उनकी आवाज की वो ताजगी, सादगी और सुरीलापन हमेशा याद रहेगा। लता जी के गानों में वो खनक और कशिश थी कि हर कोई बंधकर रह जाता था। ऐसा ही कुछ हुआ पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ। जब वह लता जी का गाना सुनकर अपने आंसू छलकने से नहीं रोक पाए।
27 जनवरी, 1963 को जब लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना गाया तो पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी अपने आंसू नहीं रोक पाए थे। दरअसल यह गीत भारत और चीन के युद्ध के अगले साल गाया गया था। यह गीत उन सैनिको को समर्पित था जो युद्ध में शहीद हो गए थे। इस युद्ध से पूरा देश हिल गया था। आज भी यह गीत लोगों की आंखों में आंसू ला देता है।