लोकतांत्रिक संस्थानों की चयन प्रक्रिया में संदेह होने पर उनका काम करना सम्भव नहीं – अमित शाह

लोकतांत्रिक संस्थानों की चयन प्रक्रिया में संदेह होने पर उनका काम करना सम्भव नहीं – अमित शाह
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केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019पर सभी सदस्यों से सहयोग की अपील की। इस के पश्चात यह विधेयक राज्य सभा में भी सर्वसम्मति से पारित हो गया। श्री अमित शाह ने कहा कि चयन समिति में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोक  सभा अध्यक्ष, उप सभापति राज्य सभा एवम्‌ दोनों सदनों के विपक्ष के नेता शामिल हैं इसलिए चयन प्रक्रिया में संदेह नहीं होना चाहिये। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने कहा कि मोदी सरकार मानव आयोग के अधिकारों की स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता के लिये प्रतिबद्ध है तथा इस संशोधन से क्षमता और बहुलता में वृद्धि होगी था आयोग और साथ हीराज्य आयोगों को भी उनकी स्वायत्तता,  स्वतंत्रताबहुवाद और मानव अधिकारों के प्रभावी संरक्षण तथा उनका संवर्धनकरने हेतु बल मिलेगा। मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुख्य बिंदु निम्न हैं- भारत के मुख्य न्यायमूर्ति के अतिरिक्त किसी ऐसे व्यक्ति, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा है, को भी आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति हेतु पात्र बनाया जा सके। आयोग के सदस्यों की संख्या को दो से बढ़ाकर तीन किया जा सके, जिनमें से एक महिला होगी। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और दिव्यांगजनों सम्बन्धी मुख्य आयुक्त को आयोग के सदस्यों के रूप में सम्मिलित किया जा सकेगा। आयोग और राज्य आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की पदावधि को पांच वर्ष से कम करके तीन वर्ष किया जा सके और वे पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र  होंगे। दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र से भिन्न अन्य संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा निर्वहन किए जा रहे मानव अधिकारों सम्बन्धी मामलों को राज्य आयोगों को प्रदत्त किया जा सके, दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में आयोग द्वारा कार्यवाही की जाएगी।

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