उत्तर प्रदेश में हो रहा सर्वाधिक प्लास्टिक कचरे का आयात

देश में फैलते प्लास्टिक कचरे के बावजूद दुनिया के अन्य देशों से रिसायकिल के लिये प्लास्टिक कचरों का आयात किया जा रहा है। जिससे देश को लाखों नौकरियों और राजस्व का नुकसान हो रहा है। देश के विभिन्न राज्यों में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा आयात किया गया है। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच ने आयात कचरे के आंकड़ों को जारी करते हुये बताया है कि देश में रिसायकिल करने वाली भारतीय कम्पनियां एक लाख इक्कीस हजार मीट्रिक टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरे का आयात कर रही है, जिनमें अकेले उत्तर प्रदेश में 28,845 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा पाकिस्तान, बांग्लादेश इत्यादि देशों से आयातित हुआ है, जोकि किसी भारतीय राज्य द्वारा किया गया अधिकतम आयात है। मंच ने प्लास्टिक कचरे को धोने और काटने से निर्मित प्लास्टिक के ढेलों और फ्लैक्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुये बताया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, कोरिया गणराज्य, अमेरिका इत्यादि देशों से भारत अप्रैल, 2018 से फरवरी 2019 के बीच प्लास्टिक के 99,545 मीट्रिक टन फ्लैक्स और 21,801 मीट्रिक टन प्लास्टिक के ढेले का आयात कर चुका है। जिसमें अकेले उत्तर प्रदेश में, विभिन्न कंपनियों ने 28,845 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा प्लास्टिक के ढेलों और फ्लैक्स के रूप में आयातित किया है। मंच के अध्यक्ष एवं पं0 दीनदयाल उपाध्याय के भतीजे विनोद शुक्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश में यह कचरा कानपुर आईसीडी, पकवारा-मुरादाबाद आईसीडी, मूंदड़ा-आगरा और पनकी आईसीडी द्वारा आयातित किया गया है। श्री शुक्ला ने कहा कि भारतीय पुनर्चक्रणकर्ता और प्लास्टिक कंपनियां उपयोग में लाई जा चुकी पीईटी प्लास्टिक बोतलों के ढेर का आयात कर रही हैं, जबकि रोजाना पैदा हो रहा टनों प्लास्टिक कचरा संग्रह हुए बगैर समुद्रों और जमीन पर पड़ा रहता है। पुनर्चक्रणकर्ता, पुनर्चक्रित कचरे का आयात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि यह स्थानीय स्तर पर निर्मित होने वाले प्लास्टिक कचरे को संग्रह और पुनर्चक्रित करने से सस्ता पड़ता है। इस अनैतिक परंपरा के चलते हमारे देश को लाखों नौकरियों और राजस्व का नुकसान हो रहा है, जिन्हें कचरा प्रबंधन और पुनर्चक्रण उद्योग को प्रोत्साहन के जरिये जनरेट किया जा सकता है। यह परंपरा देश में प्लास्टिक कचरे के संग्रहण और पुनर्चक्रण किए जाने के सरकारी प्रयासों को भी नुकसान पहुंचा रही है। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर 19 अगस्त से प्लास्टिक कचरे पर प्रतिबंध लगाने की सरकार की योजना की घोषणा कर चुके हैं। मंच ने प्लास्टिक कचरेसे बनने वाले प्लास्टिक के अन्य रूपों के आयात पर भी प्रतिबंध लगाने का निवेदन किया है। वर्तमान में ये समुद्र, वायु और सड़क मार्ग से आयातित हो रहे हैं।श्री शुक्ला कहते है वैश्विक तौर पर पीईटी सर्वाधिक पुनर्चक्रित प्लास्टिक है और भारत में पुनर्चक्रित होने वाली पीईटी बोतलों की वर्तमान दर तकरीबन 80 फीसदी है। अगर प्लास्टिक कचरे का आयात बंद हो जाए तो इससे आयातकों व पुनर्चक्रणकर्ताओं पर पॉलीएस्टर,वस्त्र फाइबर, शीट और अन्य उत्पादों के विनिर्माण के लिए कच्चा माल (प्लास्टिक कचरा) स्थानीय स्तर पर खरीदने का दबाव बनेगा। इससे उपयोग में लाई जा चुकी पीईटी बोतलों के संग्रह और पुनर्चक्रण की दर को 99 फीसदी तक पहुंचाने और 40 लाख कचरा बीनने वालों की नौकरी को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी। भारतीय कंपनियां 39076920, 39076990, 39079990 और 39159042 एचएस कोड के तहत प्लास्टिक कचरे का आयात कर रही हैं, जिसमें पीईटी, एचडीपीई और उच्च स्तर पर पुर्नचक्रित हो सकने योग्य प्लास्टिक शामिल है, जोकि स्थानीय स्तर पर पैकेजिंग के लिए उपयोग में लाई जा रही है, लेकिन पुर्नचक्रित नहीं हो पा रही है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच द्वारा शुरू किए गए कैंपेन के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने हाल ही में प्लास्टिक कचरे के आयात पर रोक लगा दी है। वर्तमान में भारत में 25,940 टन प्लास्टिक कचरा प्रति दिन पैदा होता है, जिसमें से तकरीबन 40 फीसदी संग्रहीत नहीं हो पाता है।