बिहार विधानसभा नियुक्ति घोटाला: पूर्व अध्यक्ष सदानंद सिंह, 41 पर चार्जशीट की अनुमति

पटना
बिहार में राजनीति में शीर्ष पर बैठे नेताओं के भ्रष्टाचार की यह ताजा कड़ी है। मामला है तो डेढ़ दशक पुराना, लेकिन इसमें चार्जशीट अब दाखिल होने जा रहा है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो बिहार विधानसभा में 2000 से 2005 के बीच कथित अवैध नियुक्ति के मामले में विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष सदानंद सिंह सहित 41 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने जा रहा है। विधानसभा सचिवालय ने इसके लिए अनुमति दे दी है। मिली जानकारी के अनुसार विधान सभा में अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से उनके रिश्तेदारों को तृतीय वर्ग के पदों पर नियुक्त किया गया था। अपने लोगों को नौकरी देने के लिए प्रावधानों की अवहेलना की गई। साथ ही राज्यपाल के अध्यादेश की भी मनमानी व्याख्या की गई। इस नियुक्ति में साक्षात्कार लेने का जिक्र नहीं था, लेकिन रिक्त पदों से कई गुना अधिक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलावा भेजा गया। मनमाने तरीके से चयन कमेटी का गठन किया तथा इसमें वैसे सदस्यों को रखा गया जिनके सगे-संबंधी परीक्षा में शामिल हुए थे। आरोप तो यह भी है कि नियुक्त कर्मियों की उत्तर पुस्तिकाएं भी बदलीं गईं। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सदानंद सिंह पर भी आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदार संजय कुमार की नियुक्ति के लिए मनमानी की। धांधली का हाल यह रहा कि बड़े पैमाने पर अधिकारियों के बेटे व रिश्तेदार चयनित कर लिए गए। बताया जाता है कि तत्कालीन उप सचिव वशिष्ठ देव तिवारी के पुत्र नवीन कुमार, आप्त सचिव विमल प्रसाद के पुत्र राकेश कुमार, अवर सचिव बैजू प्रसाद सिंह के पुत्र मनीष कुमार, सुबोध कुमार जायसवाल के पुत्र रतन कुमार का चयन किया गया। इसी तरह उप सचिव पुरुषोत्तम मिश्रा के रिश्तेदार देव कुमार, उप सचिव ब्रजकिशोर सिंह के रिश्तेदार सत्यनारायण, उप सचिव अरुण कुमार के रिश्तेदार नीरज आनंद, उप सचिव ब्रजकिशोर सिंह के रिश्तेदार सत्यनारायण, उप सचिव नवलकिशोर सिंह के रिश्तेदार अवधेश कुमार सिंह, आप्त सचिव कामेश्वर प्रसाद सिंह के रिश्तेदार संजीव कुमार आदि को भी नियुक्ति के लिए चुन लिया गया था।