FPI का गुस्सा शांत करने के लिए आसान किए गए निवेश के नियम

FPI का गुस्सा शांत करने के लिए आसान किए गए निवेश के नियम
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सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के नियमों में ढील देकर विदेशी निवेशकों की बढ़ती चिंताओं को कम करने की कोशिश की। उसने FPI के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को सरल बनाया। इसके लिए व्यापक योग्यता शर्तों को खत्म कर दिया गया और निवेशकों की कैटिगरी को भी तीन से घटाकर दो कर दिया। इनके साथ सेबी की बोर्ड मीटिंग में बायबैक नियमों में बदलाव के साथ क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए नियम सख्त करने सहित कई फैसले लिए गए। सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने मीटिंग के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग को 25 से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने पर आशंका जाहिर की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई के बजट में इसका सुझाव दिया था। त्यागी ने कहा कि सरकार पब्लिक शेयरहोल्डिंग को बढ़ाकर 35 प्रतिशत करना चाहती है, लेकिन इससे कई भारतीय कंपनियों को काफी शेयर बेचने पड़ेंगे। बजट में अमीरों पर टैक्स सरचार्ज बढ़ाया गया था, जिसकी चपेट में करीब 40 प्रतिशत FPI भी आ गए थे। इससे नाराज विदेशी निवेशकों ने जुलाई और अगस्त में काफी बिकवाली की। उन्होंने सरचार्ज को लेकर वित्त मंत्री से भी शिकायत की थी। तब सरकार ने भरोसा दिलाया था कि वह उनकी चिंताएं दूर करने पर गौर करेगी। सेबी के नए नियमों को FPI का गुस्सा शांत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। टैक्स मामलों पर उनकी फिक्र सरकार ही दूर कर सकती है। त्यागी ने बोर्ड मीटिंग के बाद रिपोर्टर्स से कहा, ‘2014 के नियम को फिर से तैयार किया गया, 57 सर्कुलर और FPI से जुड़े 183 FAQ (बार-बार पूछे जाने वाले सवालों) को मिलाकर नए नियम और सिंगल सर्कुलर में बदला गया है।’ सेबी ने FPI के लिए जोखिम आधारित वर्गों में भी बदलाव किया है। अभी तक जोखिम के आधार पर उन्हें तीन वर्गों में रखा जाता था।

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