कजरी सम्मेलन में पहुंचे आदित्य ठाकरे, बड़े उत्तर भारतीय चेहरे की तलाश में शिवसेना..?

मुंबई
40 लाख उत्तर भारतीय किसी भी पार्टी के लिए चुनावी समय में मुंह में पानी लाने के लिए काफी हैं। लगातार इन 40 लाख उत्तर भारतीयों पर हर पार्टी की निगाह टिकी रहती है शायद यही वजह है कि अब तक जिन उत्तर भारतीयों के कजरी सम्मेलनों से शिवसेना परहेज कर रही थी, अचानक उस कजरी सम्मेलन में खुद आदित्य ठाकरे पहुंचने लगे हैं। यह पहला मौका है जब इस तरीके के प्रोग्राम में ठाकरे परिवार का कोई सदस्य शामिल हुआ। ऐसे में जिस तरीके से उत्तर भारतीयों की पहचान पूरे मुंबई में बन रही है और करीब 20 सीटें उत्तर भारतीय दबदबे वाली हैं, कहीं न कहीं शिवसेना को लगने लगा है कि बीजेपी के कॉपीराइट को खत्म किया जाए और उत्तर भारतीयों पर एक बार फिर 90 के दशक की तरह ही अपना कब्जा जमाया जाए।
90 के दशक में बाल ठाकरे ने बाबरी मस्जिद टूटने के बाद और मुंबई दंगे के समय उत्तर भारतीयों को शिवसेना के साथ जोड़ा था। धीरे-धीरे उत्तर भारतीयों की तादात मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में बढ़ गई और ऐसे में शिवसेना को कोई बड़ा उत्तर भारतीय चेहरा मिलता नजर नहीं आ रहा है। उत्तर भारतीय चेहरे के नाम पर आदित्य ठाकरे ने पहले कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी को अपने साथ जोड़ा और उसके बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश से आने वाले कांग्रेस यूथ के मुख्य प्रवक्ता आनंद दुबे को आदित्य ने अपनी पार्टी शिवसेना में शामिल कराया।
माना जा रहा है कि आदित्य ठाकरे को लगता है कि अगर बीजेपी और शिवसेना के बीच में चुनावी गणित और तालमेल बिगड़ा तो उत्तर भारतीय वोट बैंक निर्णायक भूमिका में होंगे। खासकर मुंबई और आसपास के इलाके में जिस तरीके के उत्तर भारतीय हैं उसमें अधिकतर संख्या पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की है। यही वजह है कि आदित्य ने पूर्वी उत्तर प्रदेश से आने वाले आनंद दुबे को उत्तर भारतीय कार्यक्रम खासकर कजरी और सुंदरकांड जैसे कार्यक्रम को कराने की जिम्मेदारी सौंपी है।