18 सरकारी बैंकों को लगी 32 हजार करोड़ की चपत

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नई दिल्ली
धोखाधड़ी और एनपीए की वजह से सरकारी बैंकों को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा है। सूचना के अधिकार से खुलासा हुआ है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के 18 बैंकों में कुल 31,898.63 करोड़ रुपए के फ्रॉड (धोखाधड़ी) के 2,480 मामले सामने आए हैं। देश का शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इस अवधि में धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बना, क्योंकि इसमें से करीब 38 प्रतिशत धनराशि से जुड़े मामले केवल इसी बैंक की ओर से जाहिर किए गए हैं। मध्य प्रदेश के नीमच निवासी आर.टी.आई. कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक अधिकारी ने उन्हें यह जानकारी दी है। आरटीआई के तहत गौड़ को भेजे गए जवाब से पता चलता है कि 30 जून को समाप्त पहली तिमाही में एसबीआई में धोखाधड़ी के 1,197 मामलों का पता चला जो कुल 12,012.77 करोड़ रुपए की राशि से संबंधित थे। इस अवधि के दौरान बैंकिंग छल की जद में आई सर्वाधिक धनराशि के पैमाने पर इलाहाबाद बैंक दूसरे स्थान पर रहा। इलाहाबाद बैंक में कुल 2,855.46 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 381 मामले सामने आए। पंजाब नेशनल बैंक कुल 2,526.55 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के 99 मामलों के साथ इस सूची में तीसरे पायदान पर रहा।बहरहाल, आर.बी.आई. की ओर से आर.टी.आई. के तहत मुहैया कराई गई जानकारी में बैंकिंग धोखाधड़ी की प्रकृति और इस छल के शिकार बैंक या उसके ग्राहकों को हुए नुकसान का विशिष्ट ब्यौरा नहीं दिया गया है। आरटीआई अर्जी में गौड़ के एक सवाल पर आरबीआई ने कहा कि उसके पास इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं कि आलोच्य अवधि में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों में कुल कितनी राशि का नुकसान हुआ।

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