J&K: कश्मीर में मुहर्रम पर पाबंदिया सख्त, जनजीवन प्रभावित

श्रीनगर
कश्मीर में मुहर्रम पर पाबंदियों को सख्त कर दिया गया है। किसी को भी कश्मीर में जुलूस निकालने की इजाजत नहीं है। प्रशासन ने कई जगहों पर कंटीले तार लगाए हैं। इसका कश्मीर में जनजीवन पर असर पड़ा है। इस सबके बीच प्रशासन रोजाना हालात की समीक्षा कर रहा है। मुहर्रम के जुलूस की आड़ में आतंकी कोई बड़ी वारदात कर सकते हैं। कश्मीर में सोमवार को सामान्य जनजीवन एक बार फिर प्रशासनिक पाबंदियों और शरारती तत्वों द्वारा जबरन कराए जा रहे बंद में उलझा नजर आया। श्रीनगर के लाल चौक, जडीबल और डाउन टाउन समेत पूरी घाटी के सभी संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा को सख्ती से लागू किया गया है।
सूत्रों की मानें तो श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, अनंतनाग, गांदरबल, बांडीपोरा और बारामुला के जिला उपायुक्तों से कहा गया है कि वह सांप्रदायिक दंगों की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों और मुख्य सड़कों व हाईवे पर मुहर्रम के जुलूस की अनुमति न दें। वादी में शांति से हताश आतंकी और अलगाववादी अपने मंसूबों को नाकाम होते देख मुहर्रम के जुलूस की आड़ में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं। इसके बाद ही प्रशासन ने पाबंदियां सख्त की हैं।
किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासन ने सभी संवेदनशील इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिकबलों के जवानों को तैनात किया गया। लाल चौक और शिया बहुल इलाकों के रास्तों पर आम आवाजाही को पूरी तरह प्रतिबंधित रखा गया। अधिकारियों ने बताया कि 10 सितंबर की शाम तक वादी में प्रशासनिक पाबंदियों को जारी रखा जाएगा। लालचौक, डलगेट, जडीबडल, मीरगुंड,पटटन, बड़गाम, बेमिना, पांपोर और अन्य इलाकों में सभी प्रमुख सड़कों पर मुहर्रम के जुलूस निकालने पर पाबंदी रहेगी।
अलबत्ता, शिया बहुल इलाकों के भीतरी हिस्सों में स्थित इमामबाड़ों में स्थानीय स्तर पर मुहर्रम की मजलिसों पर किसी तरह की रोक नहीं है। अधिकारी ने बताया कि श्रीनगर शहर में वर्ष 1988 से ही लालचौक, डलगेट, हब्बाकदल, जहांगीर चौक में दस मुहर्रम पर आशूरा के जुलूस पर पाबंदी है। अलगाववादी खेमे से ताल्लुक रखने वाली अंजुमन-ए-शरीया ए शिया के अध्यक्ष आगा सैयद हसन और इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष मौलवी अब्बास अंसारी द्वारा आठ और दस मुहर्रम को आयोजित किए जाने वाले जुलूसों में आजादी समर्थक नारेबाजी होती है।