नागरिकता संशोधन विधेयक के पीछे सरकार कर रही वोट बैंक की राजनीति : शिवसेना

मुंबई
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि इसके पीछे वोट बैंक की राजनीति है। साथ ही हिंदू-मुस्लिम के बीच विभाजन की कोशिश की जा रही है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि देश के ज्यादातर राजनैतिक दलों ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया है। सामना के संपादकीय में पार्टी ने लिखा, हमारे शासक पड़ोसी चार-पांच देशों के नागरिकों को हिंदुस्तान की नागरिकता देने का निर्णय ले रहे हैं।
इसमें राष्ट्रहित कितना है और वोट बैंक की राजनीति कितनी, इस पर बहस शुरू है। नागरिकता सुधार विधेयक लाकर ऐसा कानून बनाया जा रहा है। इसके जरिए हिंदू और मुसलमान ऐसा विभाजन सरकार ने कर दिया है। हर घुसपैठिए को बाहर निकालेंगे, ऐसी गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका चुनाव के पहले से ही रही है तथा यह राष्ट्रहित में ही है। अमित शाह दिल्ली आने से पहले बांग्लादेशी ही क्यों, हर घुसपैठिए को खदेड़ो, ऐसी भूमिका हमने व्यक्त की है।
संपादकीय में कहा गया है, पाकिस्तान की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अन्य पड़ोसी देशों को भी कड़ा सबक सिखाना चाहिए जो हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी और जैन समुदायों पर अत्याचार करते हैं। प्रधानमंत्री ने पहले ही दिखाया है कि कुछ चीजें मुमकिन हैं। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने ट्वीट करते हुए कहा, अवैध घुसपैठियों को बाहर कर देना चाहिए। शरणार्थी हिंदुओं को नागरिकता मिलनी चाहिए, लेकिन वोट बैंक बनाने और उन्हें मतदान का अधिकार न देने के आरोपों पर गृह मंत्री अमित शाह का क्या कहना है? इस पर विराम लगना चाहिए।