दिल्ली में फतेह, अब पंजाब में फिरेगा ‘झाड़ू’

दिल्ली में फतेह, अब पंजाब में फिरेगा ‘झाड़ू’
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जालंधर/चंडीगढ़/श्री आनंदपुर साहिब

हजारों मुश्किलों और सैंकड़ों राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर जीत हासिल करते हुए अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। दिल्ली के राजनीति के जानकारों की मानें तो जिस प्रकार से भाजपा की ओर से दिल्ली में 200 के करीब सांसद, सैंकड़ों विधायक और स्टार प्रचारक उतारे गए थे, उसके बावजूद जिस प्रकार से दिल्ली वासियों ने केजरीवाल के सिर पर तीसरी बार मुख्यमंत्री का ताज रखा है, उससे साफ हो गया है कि दिल्ली ही नहीं अब देश के अन्य राज्यों में भी केजरीवाल का झाड़ू कइयों की आशाओं पर फिर सकता है।

आम आदमी पार्टी के कुछ सीनियर नेताओं के साथ बात की तो उन्होंने बताया कि दिल्ली तो पहला पड़ाव था, अगला पड़ाव पंजाब होगा। पहले से ही पार्टी की ओर से रणनीति तैयार की जा चुकी है। इंतजार सिर्फ दिल्ली चुनावों के नतीजों का था। दिल्ली में मुख्यमंत्री की शपथ के बाद अरविंद केजरीवाल का अगला निशाना पंजाब है।

नेताओं ने बताया कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों में जिस प्रकार से पंजाबियों ने आम आदमी पार्टी को 13 में से 4 संसदीय सीटें देकर सिर-आंखों पर बिठाया था उसे ‘आप’ कैश नहीं कर पाई।  फिर भी पंजाबियों को किसी तीसरे बदल का लंबे समय से इंतजार है और जिस प्रकार से दिल्ली में ‘आप’ को बड़ी जीत हासिल हुई है उसे देखकर लगता है कि पंजाब में एक बार फिर से ‘आप’ की लहर चल सकती है।

‘आप’ की दिल्ली में हुई जीत के बाद पंजाबियों द्वारा जिस तरह से सोशल मीडिया और अन्य साधनों से अपने विचार प्रकट किए जा रहे हैं उनसे साफ है कि पंजाब के मतदाता चाहते हैं कि पंजाब में भी अरविंद केजरीवाल की तरह कोई बड़ा नेता उभर कर सामने आए जो परंपरागत पार्टियों को टक्कर दे सके।

‘आप’ के जानकारों की मानें तो पार्टी का पंजाब के मतदाताओं के साथ एक बार फिर से नजदीकी संबंध बन सकता है क्योंकि जिस प्रकार से ‘आप’ ने दिल्ली में इस बार मुस्लिम वोट बैंक और सिख वोट बैंक को अपने खाते में लाने में सफलता हासिल की है, उसे देखते हुए पंजाब में एक बार फिर से ‘आप’ की लहर को जोर-शोर से चलाने के लिए पार्टी के सीनियर नेता और राजनीतिक विशेषज्ञ मिलकर बड़ी योजना तैयार करके बैठे हैं।

राजनीतिक सूत्रों की मानें तो सबसे पहले आम आदमी पार्टी की योजना कांग्रेस और अकाली दल-भाजपा से नाराज सिख वोट बैंक को अपनी तरफ करना है। वर्णनीय है कि पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबियों की घटनाओं के बाद जिस प्रकार से बहबल कलां और बरगाड़ी कांड सामने आए, उनसे सिखों के हृदय बुरी तरह से आहत हुए हैं।

सिरसा के डेरा मुखी राम रहीम को जिस प्रकार से बिना मांगे माफी मिली उसके बाद पंजाब के खराब हुए माहौल का ठीकरा अकाली दल के सिर ही फूटा था। अकाली दल तो बेअदबी के दोषियों को सजा दिलाने में बुरी तरह नाकाम रहा, वहीं हाथों में गुटका साहिब पकड़ कर पंजाब को नशामुक्त करने की कसम खाने के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के वायदे के बावजूद न तो पंजाब में नशे का अंत हुआ और न ही बेअदबी के दोषियों को सजा मिल पाई।

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