सीसीआई और दिल्ली व्यापार महासंघ के वकीलों ने अमेज़न की दलीलों का विरोध किया

नई दिल्ली
अमेजन और फ्लिपकार्ट के बिजनेस मॉडल की जांच के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा दिए गए निर्देश पर अमेजन द्वारा बंगलौर हाई कोर्ट में जांच पर रोक लगाने की याचिका पर आज दूसरे दिन भी सुनवाई जारी रही। इस बीच,उक्त हाई कोर्ट ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट )द्वारा इस मुकदमे में पार्टी बनाये जाने की याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। आज सुनवाई पूरी न होने के कारण इस मामले पर अब सुनवाई कल भी जारी रहेगी जिसमें फ्लिपकार्ट के वकील अपना पक्ष रखेंगे उसके बाद कैट के वकील अपना पक्ष रखेंगे।
सीसीआई की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश नरसप्पा ने अमेज़न द्वारा उठाए गए अधिकार क्षेत्र की बात पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर रिट याचिका सीसीआई कानून के तहत सीसीआई महानिदेशक की जांच में हस्तक्षेप नहीं करती है।
उन्होंने आगे कहा कि एफडीआई नीति केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई है और न्यायालय में समेकित एफडीआई नीति 2017 की धारा 3.7 और 3.7.1 के तहत केवल एफडीआई निवेश को संतुष्ट करने से एफडीआई के अन्य कानूनों से छूट नहीं मिलती है। एफडीआई नीति देश में केवल विदेशी निवेश की आमद के स्रोतों को दर्शाती है। जबकि सीसीआई का जांच का आदेश एफडीआई नीति पर सवाल नहीं उठाता है, बल्कि अमेज़न द्वारा अपनाई जा रही व्यावसायिक प्रथाओं से सम्बंधित है।
उन्होंने विभिन्न अदालती मामलों का उल्लेख करते हुए कहा की धारा 226 के तहत दायर की गई याचिका इस अदालत को प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 26 (1) के तहत पारित आदेश को प्रभावित नहीं कर सकती है और आगे 26 (1) कोई नागरिक परिणाम नहीं बनाती है। धारा 26 (1) के तहत आदेश दूसरों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है।
यह केवल एक विभागीय आदेश है, न कि अर्ध न्यायिक आदेश। किसी भी अधिकार को क़ानून द्वारा नहीं बनाया गया है और इसलिए याचिकाकर्ता द्वारा जांच रोकने की मांग का कोई औचित्य ही नहीं है।