हावड़ा ब्रिज के भार को कम करने को हटाया जाएगा तारकोल

हावड़ा ब्रिज के भार को कम करने को हटाया जाएगा तारकोल
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कोलकाता

कोलकाता में जर्जर व खतरनाक हो चुके कई प्रमुख ब्रिज व और फ्लाईओवर पर वाहनों की आवाजाही नियंत्रित की जा रही है। बिजन सेतु, अरविंद सेतु, चिंगड़ीघाटा फ्लाईओवर समेत कई ब्रिज व फ्लाईओवर की सेहत की जांच कर कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) ने उसकी मरम्मत की व्यवस्था की है। इसमें अब ऐतिहासिक हावड़ा ब्रिज (रवींद्र सेतु) का नाम भी जुड़ गया है। हावड़ा ब्रिज का रखरखाव करने वाले कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट (केपीटी) की चिंता इसलिए बढ़ी है क्योंकि इस सेतु का भार लगातार बढ़ता जा रहा है।

इसलिए अब इसका वजन कम करने पर विचार किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि ब्रिज पर जो परत-दर-परत पिच (तारकोल) लगाया गया है, इस कारण इसका लेवल बहुत बढ़ गया है। सूत्रों के अनुसार, केपीटी ने अब इस पिच को हटाकर उसके बदले कोई हल्का रासायनिक पदार्थ के इस्तेमाल पर विचार शुरू कर दिया है, जिससे इसका वजन कम किया जा सके। इस बारे में पूछे जाने पर केपीटी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय मुखर्जी ने कहा- मुझे इसकी जानकारी नहीं है।

मैंने भी इस तरह की बात सुनी है। हावड़ा ब्रिज पर बहुत पहले से ही मालवाही व भारी वाहनों की आवाजाही बंद है। बड़े ट्रक व ट्रॉलर द्वितीय हुगली ब्रिज से जाते हैं। अभी हाल में कई सेतु की जांच में पता चला है कि लगातार तारकोल की परत-दर-परत इस्तेमाल से इसका वजन बढ़ गया है। इसके बाद अभी बेलगछिया ब्रिज से तारकोल को खरोंच कर हटाया जा रहा है। इसी तरह हावड़ा ब्रिज से भी तारकोल को हटाने की बात कही जा रही है।

इस ब्रिज से तारकोल हटाने के लिए केपीटी द्वारा कुछ संस्थाओं से बात करने की भी खबर है। तारकोल को हटाने से वजन कितना कम होगा और इसके बदले किस वस्तु का इस्तेमाल होगा, इन सबको लेकर बातचीत चल रही है। बताया जा रहा है कि हावड़ा ब्रिज पर तारकोल के बदले एक अत्याधुनिक रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल होगा, हालांकि इसपर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है लेकिन इसी हफ्ते केपीटी द्वारा कदम बढ़ाए जाने की उम्मीद है।

यह भी कहा जा रहा है कि हावड़ा ब्रिज जैसे व्यस्ततम ब्रिज से तारकोल हटाने का काम होने से ट्रैफिक जाम की भी समस्या उत्पन्न होगी, हालांकि केपीटी सूत्रों का कहना है कि यदि ऐसा किया जाता है तो एक तरफ ब्लॉक कर इस काम को किया जाएगा ताकि वाहनों की आवाजाही बाधित न हो। बता दें कि पिछले साल माझेरहाट ब्रिज ढहने के बाद नेशनल टेस्ट हाउस ने जो रिपोर्ट दी थी, उसमें भी कहा गया था कि तारकोल की वजह से कई सेतुओं का भार ज्यादा है। उसके बाद उल्टाडांगा और दुर्गापुर ब्रिज का वजन कम करने की बात हो रही है।

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