ट्रिपल मर्डर केस में था दोषी फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदला

ट्रिपल मर्डर केस में था दोषी फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदला
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रायपुर

छत्तीसगढ़ में 2011 में ट्रिपल मर्डर के दोषी मनोज सूर्यवंशी की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में दोषी मनोज को 25 साल तक कठोर कारवास की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दोषी मनोज 25 साल से पहले जेल से बाहर नही आ सकता। दरअसल मनोज रतनपुर के करहैया निवासी शिवलाल धीवर और मनीषा धीवर के बच्चे कुमार साक्षी (7), अजय और विजय की हत्या का दोषी है।

तीनों बच्चों की लाश 11 फरवरी, 2011 को खेत में मिली थी।
पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, साक्षी, अजय और विजय 11 फरवरी, 2011 को दर्रीपारा स्थित स्वामी विवेकानंद स्कूल में पढ़ने गए थे। बच्चे देर शाम तक जब घर नहीं लौटे तो उनके पिता शिवलाल ने स्कूल जाकर प्रिंसिपल और टीचर्स से पूछताछ की।

इस पर टीचर्स ने तीनों के स्कूल से पैदल घर जाने की बात कही। आसपास के लोगों ने तीनों बच्चों को उनके घर के पास रहने वाले मनोज के साथ खेत की ओर जाते हुए देखने की जानकारी दी थी।बच्चों के एक साथ गायब होने की सूचना पर रतनपुर पुलिस तुरंत सक्रिय हो गई। उन्होंने अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच आवश्यक जानकारी ली। इस दौरान संदेही मनोज के घर में ताला लगा हुआ था। मोबाइल पर फोन करने पर उसने 40-50 किलोमीटर दूर होने की बात कही। इसके बाद पुलिस ने उसके मोबाइल के लोकेशन की जानकारी एकत्र की।

लोगों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पुलिस ने रात में ही खेतों में बच्चों की तलाश प्रारंभ की। पुलिस को देर रात एक खेत में तीनों बच्चों की लाश मिल गई। आरोपी भागने में सफल होता, उससे पहले ही पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए घेराबंदी कर दी। मोबाइल लोकेशन से उसके बेलतरा क्षेत्र में होने की जानकारी मिल गई थी। इसके बाद आरोपी को हिरासत में लिया गया. पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने कुमारी साक्षी की गला घोंटकर हत्या की थी।

अजय व विजय को पत्थर पर पहले पटका और बाद में सिर पर वार कर हत्या की थी। निचली अदालत ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की थी कि जब मनोज सूर्यवंशी को फांसी की सजा सुनाई गई, तब उसके चेहरे पर कोई पछतावा या भय नजर नहीं आ रहा था।

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