संकट वाले निवेश से संपत्तियां निकाल रहीं म्यूचुअल फंड कंपनियां

डेट फंड योजनाओं पर बढ़ते जोखिम को देखते हुए म्यूचुअल फंड कंपनियों ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) व हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) में अपना एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) घटाकर आधा कर दिया है। वैश्विक निवेश सलाहकार एजेंसी मॉर्गन स्टैनली ने मंगलवार को बताया कि म्यूचुअल फंड हाउसों ने अपने एयूएम को सुरक्षित निवेश में लगाना शुरू कर दिया है।रिपोर्ट के अनुसार, म्यूचुअल फंड हाउस ने एनबीएफसी और एचएफसी में निवेश जुलाई-अगस्त 2018 के उच्च स्तर से करीब 45% कम कर दिया है। रियल एस्टेट फाइनेंसिंग और प्रमोटर फाइनेंसिंग में भी निवेश 90% घटाकर लगभग 1.5% कर दिया है। एजेंसी का कहना है कि म्यूचुअल फंड का डेट योजनाओं में निवेश वित्त वर्ष 2014 के बाद खूब बढ़ा, लेकिन अगस्त, 2018 के बाद से यह सालाना 14% दर से घटना शुरू हो गया और मार्च, 2020 तक बड़ी गिरावट आ गई। म्यूचुअल फंड ने निवेश इसलिए घटाया है क्योंकि एनबीएफसी-एचएफसी को दो साल से कर्ज कम मिल रहा है, जो उन पर वित्तीय दबाव और नकदी संकट बढ़ा रहा है।
एनबीएफसी व एचएफसी को 2018 के मुकाबले 2019 में 6% कम कर्ज मिला है। इसी दौरान, सरकारी प्रतिभूतियों और सरकारी कंपनियों के बॉन्ड में एयूएम 24% से 40% हो गया है। इससे निजी क्षेत्र के कॉरपोरेट में म्यूचुअल फंड का निवेश 22% कम हो गया है। बैंकों के जरिए म्यूचुअल फंड को मदद पर संशयम्यूचुअल फंड क्षेत्र के जानकारों का कहना कि आरबीआई को बैंकों के जरिए मदद के बजाय सीधे तौर पर आपात योजना बनानी चाहिए। इसका बड़ा कारण है कि बैंक आरबीआई से कम ब्याज पर पैसे लेंगे और दोगुनी दर पर कंपनियों को कर्ज देंगे।2013 में भी बैंकों ने 10.25% ब्याज दर से कर्ज दिया था, जिससे म्यूचुअल फंड हाउस ने 25 हजार करोड़ में से 3,500 करोड़ का ही कर्ज लिया था। एक जोखिम यह भी है कि बैंक सिर्फ अपने समूह के म्यूचुअल फंडों के ही पेपर खरीदेंगे, जो क्षेत्र के हितों को प्रभावित करेगा। इससे म्यूचुअल फंड हाउस को पूरा लाभ नहीं मिलेगा।