2004-2015 के दौरान नई FDI परियोजनाओं के लिए भारत रहा चौथा सबसे बड़ा देश

भारत 2004 से 2015 के बीच नई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) परियोजनाओं को आकर्षित करने वाला चौथा प्रमुख देश रहा है। इस दौरान दूसरे देशों में विलय एवं अधिग्रहण करने में भी भारत आठवें स्थान पर रहा। इस संदर्भ में ‘फ्यूचर ऑफ रीजनल को-ऑपरेशन इन एशिया एंड पैसेफिक’ शीर्षक वाला एक शोध पत्र जारी किया गया है।
शीर्ष पर रहा अमेरिका
एशियाई विकास बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध इस रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से 2015 के बीच भारत को 8,004 नई एफडीआई परियोजनाएं हासिल हुईं। वहीं विलय और अधिग्रहण की संख्या भी 4,918 रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में नई एफडीआई परियोजनाएं हासिल करने में अमेरिका शीर्ष पर रहा। जबकि चीन दूसरे और ब्रिटेन तीसरे स्थान पर रहा। इस दौरान अमेरिका को 13,308 नई एफडीआई परियोजनाएं हासिल हुईं।
एटीसी के एफडीआई को मिली मंजूरी
दूरसंचार क्षेत्र की कंपनी एटीसी इंडिया ने कहा कि 2,480 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भारत को लेकर उसकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और डिजिटल इंडिया मिशन के लिए भरोसे को दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने बुधवार को एटीसी टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर में 12 फीसदी हिस्सेदारी के लिए एटीसी एशिया पैसेफिक लिमिटेड के 2,480 करोड़ रुपये के एफडीआई को मंजूरी प्रदान कर दी।
एटीसी के कार्यकारी उपाध्यक्ष अनिल शर्मा ने एक बयान में कहा कि वर्ष 2007 से अब तक देश में डिजिटल दूरसंचार बुनियादी ढांचे के निर्माण और विकास पर कंपनी 24,000 करोड़ रुपये निवेश कर चुकी है। अब कंपनी के देशभर में करीब 75,000 मोबाइल टावर हैं, जो सभी दूरसंचार कंपनियों के लिए सहायक हैं। एटीसी इंडिया, अमेरिकन टावर की भारतीय अनुषंगी है। यह निवेश सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन और भारत को लेकर उसकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।