पीएफ पर कभी तीन फीसदी तो कभी 12 फीसदी ब्याज

पीएफ पर कभी तीन फीसदी तो कभी 12 फीसदी ब्याज
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होली की तैयारियों में जुटे कर्मचारियों को सरकार की ओर से तोहफे की आस थी, लेकिन इसके बजाय उन्हें तगड़ा झटका लगा है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की दो दिवसीय बैठक में ईपीएफ में जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज दर घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया है। ईपीएफओ के इतिहास की बात करें तो अब तक इसमें साल दर साल कई बदलाव देखने को मिले हैं। इस पर कभी निम्नतम तीन फीसदी, तो कभी उच्चतम 12 फीसदी ब्याज दिया गया।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की स्थापना साल 1952 में की गई थी। आपको बता दें कि ईपीएफओ भारत की एक राज्य प्रोत्साहित अनिवार्य अंशदायी पेंशन और बीमा योजना प्रदान करने वाला शासकीय संगठन है। सदस्यों और वित्तीय लेनदेन की मात्रा के हिसाब से देखें तो यह विश्व का सबसे बड़ा सगठन है। इसकी पावरफुल बॉडी सीबीटी ब्याज दरों पर फैसला लेती है। केंद्रीय श्रम मंत्री इसके प्रमुख होते हैं। केंद्र सरकार का लेबर सेक्रेटरी इसका वाइस-चेयरमैन होता है। इसमें केंद्र सरकार के 5 और राज्य सरकारों के 15 प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इसमें कर्मचारियों के 10 और नियोक्ताओं के 10-10 प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।

अब तक ईपीएफ ब्याज दर 8.5 फीसदी निर्धारित थी, जिसे घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां दर बीते चार दशकों से ज्यादा समय अवधि में सबसे कम है। इससे पहले 1977-78 में यह आठ फीसदी पर थी। हालांकि, अगर ईपीएफओ की शुरुआत से देखें तो पीएफ में जमा राशि पर मिलने वाली ब्याज दर 1952-53 में सबसे कम तीन फीसदी तय की गई थी, जबकि 1990 से 2001 तक यह सबसे उच्च स्तर 12 फीसदी पर रही थी।
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