राष्ट्रपति राजपक्षे को हटाने की मुहिम

अत्यंत गहरा चुकी आर्थिक मुसीबत के कारण श्रीलंका में भड़के जनाक्रोश के सामने राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे की सरकार लाचार नजर आ रही है। गुजरे महीनों में आर्थिक संकट से राहत पाने के लिए श्रीलंका सरकार ने जो भी हाथ-पांव मारे, वे नाकाम साबित हुए हैं। खाने-पीने की चीजों के भी लाले पड़ने की वजह से पहले खबर आई कि बड़ी संख्या में लोग श्रीलंका से समुद्र के रास्ते भाग कर भारत के तमिलनाडु राज्य में जा रहे हैं। इस बीच देश भर में सड़कों पर विरोध जताए जाने की खबरें भी आती रही हैं। गुरुवार को संकेत मिला कि अब हालात बेकाबू हो रहे हैं।
विश्लेषज्ञों के मुताबिक श्रीलंका की मुख्य समस्या विदेशी मुद्रा भंडार का खाली हो जाना है। इसकी वजह से सरकार जनता की जरूरत के मुताबिक ईंधन, खाद्य पदार्थों, और अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात नहीं कर पा रही है। ईंधन की कमी के कारण कई पेट्रोल पंपों पर लोगों को 12 से 13 घंटो तक कतार में खड़ा रहना पड़ा है। इस बीच कई सरकारी अस्पतालों में बिजली न होने के कारण रूटीन सर्जरी को टाला जा रहा है।