डिजीटल खतौनी से कम होगें जमीनी विवाद

लखनऊ। राजस्व परिषद जमीन बंटवारे को लेकर होने वाले विवाद को खत्म करने जा रही है। खतौनी में सभी अंशधारकों के हिस्से की जमीन का अनिवार्य रूप से उल्लेख होगा। उसके आगे लिखा जाएगा कि उसके हिस्से की कितनी जमीन है और उसने कितनी बेची है। राजस्व परिषद का मानना है कि इससे काफी हद तक जमीन बंटवारे को लेकर होने वाला विवाद रुकेगा।
यूपी में 1.08 लाख गांव रू प्रदेश में मौजूदा समय 1.08 लाख गांव हैं। राजस्व परिषद प्रत्येक छह साल में खतौनी संशोधित कराता है। राजस्व परिषद खतौनियों में अब जितने भी संशोधन करता है, उसमें जमीन संबंधी सभी जानकारियां दर्ज कराई जा रही हैं। मौजूदा समय फसली वर्ष 1427 चल रहा है। इसमें अभियान चलाकर खतौनी संशोधन करने का काम शुरू किया गया है। राजस्व परिषद ने प्रदेश के सभी डीएम को निर्देश दिया गया है कि खतौनी संशोधन के दौरान उसमें दर्ज खातेदारों, सहखातेदारों के खातावार एवं गाटावार अंश का निर्धारण किया जाएगा।किसकी कितनी जमीन रू राजस्व परिषद ने निर्देश दिया है कि अंश निर्धारण के दौरान खतौनी में यह अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए कि किसके पास कितनी जमीन है। उदाहरण के लिए किसी खसरे में तीन भाई हिस्सेदार हैं तो उसमें किस भाई के पास कितनी जमीन, इसका उल्लेख अनिवार्य रूप से किया जाए। साथ ही यह भी दर्ज किया जाएगा कि किस भाई ने अपने हिस्से की कितनी जमीन किसे बेची है और उसके पास अब कितनी जमीन बची है।राजस्व परिषद विस्तृत भूमि प्रबंधन प्रणाली ‘डिजिटल लैंड’ प्रणाली लागू करने वाला पहला राज्य बना है। इसके लिए एक्सिलेंस इन गवर्नमेंट प्रोसेस रिइंजीनियरिंग फॉर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के तहत कैटेगरी-1 के लिए गोल्ड मेडल भी मिल चुका है। राजस्व परिषद अब जमीन संबंधी सभी मामले ऑनलाइन कर रहा है, जिससे एक ही नजर में लोगों को जमीन के संबंध में पूरी जानकारी मिल जाए।इसके पहले खसरे में खाताधारकों का नाम तो होता था लेकिन उनके हिस्से में कितनी जमीन है, यह नहीं दर्ज किया जाता था। यह भी संशोधित नहीं होता था कि उसने अपने हिस्से की कितनी जमीन बेची है। इसके चलते यह पता नहीं चल पाता था कि किसने अपने हिस्से की कितनी जमीन बेची। इसीलिए खसरे में अंश निर्धारण की व्यवस्था लागू की गई है।, अध्यक्ष, राजस्व परिषद प्रवीर कुमार बताते है कि राज्य सरकार की मंशा जमीन संबंधी विवाद खत्म करने की है। इसके लिए जमीन संबंधी सभी जानकारी ऑनलाइन की जा रही हैं। खतौनी में अंशधारकों के नाम अभियान चला दर्ज किए जा रहे हैं। इसे देखते ही पता चला जाएगा कि किसकी कितनी जमीन है।